राजनीतिक

फायदे से ज्यादा नुकसान का डर, पांच राज्यों के चुनावों में हिंदुत्व पर बहस से बचना चाहते हैं कांग्रेसी

 नई दिल्ली

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले देश में हिंदू और हिंदुत्व पर बहस तेज है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हिंदू और हिंदुत्व में फर्क समझाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। पार्टी भी सोशल मीडिया सहित तमाम प्रचार तंत्रों के जरिये लगातार इस मुद्दे पर भाजपा को घेर रही है। लेकिन इसमें कांग्रेस के भीतर एक राय नहीं है। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि क्या हिंदू और हिंदुत्व की बहस चुनाव में कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगी? पार्टी के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता इससे सहमत नहीं हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि इस तरह की बहस के बजाय पार्टी को महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को उठाना चाहिए। राहुल गांधी कई माह से इन दोनों शब्दों का अंतर समझाने की कोशिश कर रहे हैं। पर पार्टी कार्यकर्ता इस बहस को लोगों के बीच ले जाने में विफल रहे हैं। यूपी कांग्रेस के एक जिला स्तर के पदाधिकारी कहते हैं कि यह अकादमिक मुद्दा है। इस मु्द्दे को लेकर कैसे लोगों के बीच जा सकते हैं।

पार्टी के वरिष्ठ नेता हरिकेश बहादुर कहते हैं कि हमें हिंदू और हिंदुत्व को परिभाषित करने में समय नष्ट नहीं करना चाहिए। कुछ लोग धर्म का प्रयोग अपनी ओछी राजनीति के लिए कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को इससे दूर रहना चाहिए। कई दूसरे नेता भी मानते हैं कि इस बहस से कोई फायदा नहीं है। 
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि हमें इस तरह की अकादमिक बहस के बजाय उन मुद्दों को उठाना चाहिए, जिनसे जनता सीधे तौर पर जुड़ी हुई है। महंगाई, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था और स्थानीय मुद्दों सहित कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर लोग बंटे हुए नहीं हैं। इन मुद्दों को लोगों के बीच ले जाना आसान होता है। सियासी तौर पर भी यह ज्यादा असरदार साबित होते हैं।

पार्टी नेता मानते हैं कि पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर और यूपी में महिलाओं को चुनाव के केंद्र में लाकर पार्टी ने एक बड़ी लाइन खींची है। ऐसे में पार्टी को हिंदू और हिंदुत्व की बहस के बजाय इन सभी मुद्दों को और आक्रामकता के साथ लोगों के बीच रखना चाहिए।

पार्टी के नेता महसूस करते हैं कि हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा पहले ही बढ़त बना चुकी है। ऐसे में इस मुद्दे पर नए तर्क शायद ही लोगों के गले उतर पाएं। ऐसे में पार्टी को इस बहस से कोई फायदा नहीं है, उल्टे मौका देखकर भाजपा इस मामले में कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर हिंदुत्व के विरुद्ध होने का आरोप लगा सकती है।

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