राजनीतिक

चार विधायक, तीन सांसद और 14 जिलाधिकारी नहीं बनवा पाए पार्किंग

नैनीताल
राज्य में पर्यटन का प्रमुख केंद्र नैनीताल बीते 21 सालों से पार्किंग की मांग रहा है। पर्यटक सीजन में यहां लगने वाला जाम और परेशानियां राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बनती हैं। हैरानी की बात यह है कि राज्य गठन के बाद बने चार विधायक, तीन सांसद और जिले के 14 डीएम भी आज तक नैनीताल में किसी भी बड़ी पार्किंग योजना को पूरा नहीं करवा पाए हैं। इससे स्थानीय पर्यटन कारोबारी भी काफी निराश हैं।  वर्तमान में नगर में एकमात्र मल्टीस्टोरी पार्किंग केएमवीएन के पास है। इसके अलावा शहर में दूसरी कोई पार्किंग योजना बीते 21 सालों में तैयार नहीं हो पाई है। बीते पांच सालों में नारायण नगर में 2.20 करोड़ की पार्किंग योजना को स्वीकृति मिली, पर वन विभाग का अड़ंगा न निकलने के कारण इस योजना का आकार छोटा करना पड़ा। इस कारण यह योजना भी अभी शुरू नहीं हो पाई है। शासन व अफसर भी पर्यटन पर आधारित शहर की अर्थव्यवस्था के लिए पार्किंग स्थलों की जरूरत को समझते हैं, पर योजनाओं का निर्माण करने व इसे आगे बढ़ाने पर लगभग हर कोई नाकाम ही साबित हुआ है।

पांच साल में सात घोषणाएं, चार अधर में
बीते पांच सालों में नैनीताल में पर्यटन से जुड़ी आठ योजनाएं पर्यटन विभाग ने आगे बढ़ाईं। इसमें नारायण नगर में 2.20 करोड़ की पार्किंग, 70 लाख का गांधी स्टडी सेंटर, 95 लाख की न्यू डेस्टिनेशन योजना से मुक्तेश्वर को विकसित करने की योजना थी। पर इन योजनाओं को अब भी धरातल पर उतरने का इंतजार है। इसके अलावा 56 करोड़ की कैंची धाम विकास योजना, 2. 30 करोड़ से हेलीपैड निर्माण, 1.51 करोड़ से भीमताल में हेलीपैड निर्माण, 2.30 करोड़ से प्लाजा निर्माण की योजना फिलहाल पाइपलाइन में है।

पर्यटन जिले में अर्थ व्यवस्था की रीढ़
जिले में पर्यटन व खनन ही अर्थ व्यवस्था की मुख्य रीढ़ है। रामनगर में कॉर्बेट पार्क व पहाड़ में नैनीताल होने के कारण यह क्षेत्र पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। पूरे साल यहां के होटल बुक रहते हैं। दिल्ली एनसीआर से नजदीक होने का लाभ भी यहां मिल रहा है। नैनीताल के कारण ही अब आसपास के पर्यटक स्थल भी अपनी जगह बना रहे हैं।

पर्यटकों को शहर से बाहर रोकने की परिपाटी शुरू हुई
नैनीताल में पर्यटकों को शहर से बाहर रोकने की परिपाटी शुरू हो गई है। दरअसल कई बार पर्यटकों का इतना अधिक दबाव हो जाता है कि शहर में पैर रखने तक की जगह नहीं बचती है। ऐसे में प्रशासन पर्यटकों के साथ ही उनके वाहनों को भी शहर में नहीं आने देता है। इस साल तो बाइक व स्कूटर से नैनीताल आने वाले सैलानियों को भी शहर में नहीं आने दिया गया।

 

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