राजनीतिक

उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में अमित शाह ने पुराने अंदाज में मारी एंट्री, दिनभर रैली, रात में बैठकें

नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने पुराने अंदाज में सांगठनिक फीडबैक और टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी के मंथन की कमान संभाली है। अमित शाह ने दिन में रैलियां करने और रात में सभाएं करने की अपनी पुरानी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। वह रात्रि विश्राम करेंगे और बैठकें करेंगे, जैसा कि उन्होंने काशी, अवध और रोहिलखंड क्षेत्रों में किया था।

यूपी चुनाव के प्रचार में पूरी कोशिश कर रही बीजेपी संगठन को मजबूत करने और टिकट बंटवारे को लेकर शुरुआती मंथन में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी के शीर्ष नेता जहां यात्रा और जनसभाओं में लगे हुए हैं, वहीं पूर्व में यूपी के लिए चाणक्य की भूमिका निभा चुके अमित शाह ने यह पूरी जिम्मेदारी ली है। अमित शाह रैलियों और रात की बैठकों के जरिए न सिर्फ सांगठनिक तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं बल्कि अपने पुराने अंदाज में टिकटों पर मंथन भी कर रहे हैं।

मंगलवार को हरदोई और सुल्तानपुर में जनसभाओं में विपक्ष पर हमला करने के बाद अमित शाह काशी पहुंचे और रात में संगठनात्मक बैठक की। बैठक अमित शाह के पुराने अंदाज की ओर इशारा करती है, जो चुनाव प्रबंधन में माहिर माने जाते हैं। यूपी चुनाव से पहले रात की बैठकें भी टिकट वितरण और अंतिम प्रतिक्रिया के प्रति अमित शाह की बढ़ती दिलचस्पी का स्पष्ट संकेत दे रही हैं।
 
काशी में चाणक्य का मंथन
28 दिसंबर की जन विश्वास यात्रा के बाद अमित शाह रात भर काशी में रुके थे। दिन भर के सफर और कोशिशों के बाद रात में फीडबैक और टिकट को लेकर भी काफी चर्चा हुई। बैठक में सांसदों और विधायकों के अलावा मंत्री, क्षेत्रीय पदाधिकारी भी शामिल हुए। काशी में रात्रि प्रवास के बाद 30 दिसंबर को अमित शाह मुरादाबाद, अलीगढ़ और उन्नाव में जनसभा करेंगे। रात्रि विश्राम लखनऊ में करेंगे। 31 दिसंबर को अयोध्या, संत कबीरनगर और गोरखपुर में जनसभाओं के बाद वे बरेली पहुंचेंगे, जहां वे रात्रि विश्राम करेंगे। यह चुनावी तैयारी नहीं बल्कि चुनाव पूर्व बैठक है। जाहिर है इसमें टिकट को लेकर मंथन भी शामिल है। इसलिए इसमें अमित शाह का होना जरूरी है। रतन मणि लाल कहते हैं कि यूपी में सरकार हर बार बदल रही है। यह पहली बार है जब कोई पार्टी सत्ता में वापस आने की कोशिश कर रही है। अमित शाह के पास उस तरह का अनुभव है जो इसके लिए जरूरी है। दरअसल, बीजेपी के लिए तैयारी के लिहाज से यह सबसे अहम समय है।

पुराने अंदाज में दिख रहे हैं अमित शाह
यूपी में अमित शाह की सक्रियता उनके पुराने अंदाज की ओर इशारा करती है। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी के प्रभारी रहे अमित शाह ने पार्टी के लिए एक सफलता की पटकथा लिखी, और रात की बैठकों की उसमें महत्वपूर्ण भूमिका थी। उस समय अमित शाह रायबरेली, सुल्तानपुर, शाहजहांपुर जैसे छोटे लेकिन राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जिलों में रहे और वहां रात की बैठकें भी कीं। बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए ये बड़ी बात थी कि उन्हें खुद अमित शाह ने बुलाया था। यह भी कहा गया कि अमित शाह के पास हर पोलिंग बूथ की डिटेल थी।

गुजरात के बाहर पहली बार यूपी में दिखाया था अपना कौशल
अमित शाह ने कार्यकर्ताओं से बात करना शुरू कर दिया और उन्हें तैयारियों के निर्देश देते हुए बैठकों में उनके नाम से पुकारा। इससे हलचल मच गई। क्योंकि चुनावी तैयारियों पर इतनी कड़ी नजर रखने के लिए किसी शीर्ष नेता को देखना कार्यकर्ताओं के लिए नई बात थी। अमित शाह को  उत्तर प्रदेश की प्रत्येक सीट का समीकरण पता था। उनकी रणनीति की सफलता तब स्पष्ट हुई जब भाजपा ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए और अमित शाह को गुजरात के बाहर भी चुनावी रणनीति का चाणक्य साबित कर दिया।

2017 में भी काम आया अमित शाह का अनुभव
यूपी में बीजेपी का निर्वासन 2017 के विधानसभा चुनाव में खत्म हुआ। इस बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होते हुए भी अमित शाह ने पूरे अभियान की रूपरेखा खुद तय की। अमित शाह अब तक पूरे उत्तर प्रदेश की जमीनी हकीकत को समझ चुके थे। यूपी प्रभारी के रूप में अमित शाह का अनुभव काम आया। इस बार भी अमित शाह ने छोटी-छोटी जगहों का दौरा किया। लखनऊ में, अमित शाह ने तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए भाजपा प्रदेश पार्टी कार्यालय में अपने प्रवास के दौरान देर रात तक बैठकें कीं।

यूपी बीजेपी महासचिव सुनील बंसल की भी अमित शाह के चुनाव अभियान और प्रबंधन को यूपी में संगठन के जमीनी स्तर तक ले जाने की अहम जिम्मेदारी थी। रतन मणि लाल कहते हैं, ''इस बार चुनौती कुछ और है। बड़ी संख्या में टिकटों से इनकार किया जाना है। ऐसे में टिकटों पर फैसला लेने से पहले फाइनल फीडबैक बहुत जरूरी है। अमित शाह जरूर इस पर काम कर रहे होंगे।''

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