राजनीतिक

कांग्रेस अध्यक्ष पद की कवायद में गांधी परिवार ही की भूमिका ही होगी अहम

नई दिल्ली । कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद के चुनाव की कवायद हो रही है, 17 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मतदान होंगे। मतदान एक से अधिक व्यक्तियों के नामांकन के बाद ही कराया जाएगा। कांग्रेस का दावा है कि पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत यह चुनाव कराए जा रहे हैं। लेकिन इस चुनावी प्रक्रिया पर सवाल भी लगातार उठाए जा रहे हैं। दरअसल, कांग्रेस के आलाकमान की ओर से सभी राज्य इकाइयों को 20 सितंबर से पहले एक प्रस्ताव पारित करने का आदेश दिया है। दावा किया जा रहा है कि इसमें सोनिया गांधी को सभी राज्य इकाई के प्रमुख और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्यों को नामित करने के लिए कहा जाएगा। यही कारण है कि अब कांग्रेस की चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या अब गांधी परिवार से ही अगला अध्यक्ष बनेगा या गांधी परिवार ही अगला अध्यक्ष तय करेगा।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी को कांग्रेस के अगले अध्यक्ष के नाम की अनुमति देने के प्रस्ताव पारित करने से कोई नहीं रोक सकता है। राज्य के प्रदेश कमेटियों को 20 तारीख से पहले ही प्रस्ताव पारित करने का अनुरोध किया गया है। सवाल इसलिए भी उठने लगे हैं क्योंकि 22 सितंबर से चुनाव अधिसूचना के प्रक्रिया शुरू हो रहे हैं। 25 से 30 सितंबर के बीच नामांकन दाखिल किए जाएंगे। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी चुनाव लड़ने नहीं जा रही हैं। लेकिन जिस वजह से कांग्रेस पार्टी मुश्किल में हैं, वह है कि राहुल गांधी अध्यक्ष चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है। ऐसे में ही बात स्पष्ट रूप से है कि फिलहाल गांधी परिवार बाहर से किसी अध्यक्ष को चाहता है। यह ऐसा होगा जो कि गांधी परिवार का सबसे भरोसेमंद भी हो।
इसका मतलब यह भी है कि प्रियंका गांधी भी चुनाव नहीं लड़ने जा रही है जिन्हें एक विकल्प माना जा रहा था। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश का दावा है कि नए अध्यक्ष चुनने के लिए व्यापक सहमति बनाई जानी चाहिए और किसी भी स्थिति में संगठन से जुड़े मामलों में गांधी-नेहरू परिवार का महत्व बना रहे। जयराम रमेश ने तो यह भी कह दिया कि गांधी परिवार से बाहर से भी कोई अध्यक्ष बनता है तो भी सोनिया गांधी की ओर हर व्यक्ति उम्मीद के साथ देखेगा और राहुल गांधी वैचारिक रूप से केंद्रबिंदु में बने रहेंगे। यही कारण है कि लगातार सवाल उठ रहा है कि दूसरे के अध्यक्ष बनने के बावजूद भी राहुल गांधी बैक शीट पर बैठेंगे और पार्टी को चलाने का काम करेंगे।

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