राजनीतिक

अकेले ही धरना देते रहे नवजोत सिंह सिद्धू, बड़े नेताओं ने किया किनारा; पार्टी से अलग जाने का आरोप

चंडीगढ़
पंजाब विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद भी कांग्रेस की स्टेट लीडरशिप में रार जारी है। सोमवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने राजपुरा में बिजली की कटौती समेत कई मुद्दों को लेकर धरना दिया था, लेकिन वह अकेले पड़ते नजर आए। कांग्रेस नेताओं के इस धरने में पार्टी के ज्यादातर लोग नहीं पहुंचे। मौजूदा विधायक और नए बने प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर राजा वारिंग की टीम का कोई भी नेता नहीं पहुंचा। इन नेताओं का कहना था कि नवजोत सिंह सिद्धू ने धरने का जो आयोजन दिया था, वह पार्टी के आदेश पर नहीं था। ऐसे में उन्होंने वहां जाना ठीक नहीं समझा। इस तरह विपक्ष में आकर भी कांग्रेस बंटी हुई है।

यह धरना नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी राजपुरा के पूर्व विधायक हरदयाल कम्बोज ने आयोजित किया था। इस धरने को नवजोत सिंह सिद्धू ने संबोधित किया और काफी देर तक वह बैठे रहे। उनके अलावा चंद कांग्रेसी ही इस धरने में दिखाई दिए। खासतौर पर सीनियर नेताओं ने दूरी ही बनाए रखी ताकि उन पर पार्टी लाइन से अलग जाने के आरोप न लग सकें। यहां तक राजपुरा जिस पटियाला में आता है, वहीं के नेताओं ने इससे दूरी बना ली। नेताओं का कहना था कि इसका आयोजन पार्टी की ओर से नहीं किया गया था। रविवार को प्रदेश कांग्रेस कमिटी के चीफ अमरिंदर राजा वारिंग ने पहले ही धरने से दूरी बनाने के संकेत दे दिए थे।

पार्टी नेता बोले- हमें तो बुलाया ही नहीं गया था
नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से धरने के आयोजन को लेकर पूछे जाने पर अमरिंदर राजा वारिंग का कहना था कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। हाल ही में पटियाला से चुनाव हारने वाले मोहित मोहिंद्रा ने कहा, 'मुझे आमंत्रण ही नहीं दिया गया था। यह धरना पार्टी की ओर से आयोजित नहीं किया गया था।' कांग्रेस के पूर्व विधायक और पार्टी से निष्कासित किए गए सुरजीत सिंह धीमान ने जरूर इसमें हिस्सा लिया। उनके अलावा पूर्व विधायक अश्वनी शेखरी, नवतेज सिंह चीमा, नजर सिंह मनसाहिया और सुखविंदर सिंह काका काम्बोज भी इस मौके पर मौजूद थे।

अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद भी फैसले ले रहे सिद्धू
गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने चुनाव में करारी हार के बाद सोनिया गांधी के आदेश पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि इसके बाद भी वह लगातार अपनी ओर से ही फैसले ले रहे हैं। कई बार वह अपनी ओर से ही आप सरकार के विरोध में धरने दे चुके हैं। उनके इन फैसलों को भी अनुशासनहीनता माना जा रहा है।

 

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