पंचायत चुनाव: सुप्रीम सुनवाई का इंतजार, फिलहाल जारी रहेगी प्रक्रिया
भोपाल
राज्यपाल द्वारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पंचायत चुनाव को लेकर लाए गए अध्यादेश को निरस्त करने की मंजूरी दिए जाने के बाद अब प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर आगे की रणनीति तय करने राज्य निर्वचन आयुक्त बीपी सिंह ने अपने आला अफसरों के साथ मंथन किया। राज्य निर्वाचन आयोग अब तीन जनवरी को पंचायत चुनाव से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार कर सकता है। उसके बाद ही कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा।
राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 9 क के अंतर्गत पंचायत चुनाव के लिए अध्यादेश को राज्यपाल से निरस्त किए जाने के बाद अब इस पूरे मसले पर विधि विशेषज्ञों से बात करने के बाद सुप्रीम कोर्ट को सूचना देंगे। चुनाव केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ही रोके जा सकेंगे, क्योंकि चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है।
राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव बीएस जामोद का कहना है कि फिलहाल राज्य निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मौजूदा जारी प्रक्रिया नहीं रोकी है। अभी यथास्थिति है केवल ओबीसी के लिए आरक्षित पदों के लिए चुनाव प्रक्रिया कोर्ट के निर्देशानुसार स्थगित की गई है।
मध्यप्रदेश में पंचायतों मेंं ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत पदों के आरक्षण की प्रक्रिया फिलहाल कोर्ट के निर्देश पर रोक दी गई है। विधानसभा में पक्ष-विपक्ष दोनो सर्वसम्मति से ओबीसी आरक्षण के बिना प्रदेश के पचांयत चुनाव नहीं कराए जाने का संकल्प पारित करा चुके है। राज्य सरकार इस संबंध में लाए गए अध्यादेश को वापस भी ले चुकी है लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग विधिक परामर्श के बिना कुछ तय नहीं कर सकता। इसलिए पंचायत चुनाव के लिए जो प्रक्रिया जारी है वह अभी जारी रहेगी।
तीन जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में पंचायत चुनाव में रोटेशन-परिसीमन के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर भोपाल के मनमोहन नागर ने चायिका लगाई है। इस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने सत्रह दिसंबर को पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। विवेक तन्खा की याचिका ओबीसी आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया के उल्लंघन को लेकर है। इन सब पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन जनवरी का समय तय किया है। राज्य निर्वाचन आयोग की नजर भी इस फैसले पर टिकी है। इसके आधार पर ही राज्य निर्वाचन आयोग आगे निर्णय लेगा।
इधर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि राज्य निर्वाचन आयोग संवैधानिक संस्था है और वह मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यदि किसी प्रकार का वायलेशन नहीं हो रहा है तो वह पंचायत चुनाव की प्रक्रिया को रोकने का निर्णय ले सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट में इस मसले की मौजूदा स्थितियों को देखते हुए उनका संज्ञान लेते हुए चुनाव प्रक्रिया को जारी रखने या नहीं रखने का निर्णय ले सकता है।
मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव विधि गोपाल श्रीवास्तव का कहना है कि राज्य निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र बॉडी है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए आयोग निर्णय ले सकता है कि वह चुनाव कराए या नहीं कराए। बाकी मैं दस दिन से छुट्टी पर हूं इसलिए इस मामले में क्या चल रहा है उसकी मुझे पूरी जानकारी नही ंहै। आयोग ने इस मसले पर क्या सोचा है यह तो वहीं बता सकता है।