राजनीतिक

PCC चीफ नाथने बुलाई बड़े नेताओं की अहम बैठक

भोपाल
उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में कांग्रेस की जबरदस्त हार के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने मिशन 2023 को लेकर एक अहम बैठक बुलाई है। यह बैठक चार अप्रैल को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बंगले पर होगी। जिसमें दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, अजय सिंह, अरुण यादव सहित सभी बड़े नेता शामिल होंगे।

पांच राज्यों में कांग्रेस को मिली हार के बाद अब प्रदेश कांग्रेस सभी नेताओं को एकजुट कर मिशन 2023 की तैयारियों को लेकर नये सिरे से रणनीति बनाने की तैयारी कर रही है।बैठक का एजेंडा फिलहाल गुप्त रखा गया है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव की हार के बाद कांग्रेस किन मुद्दों पर जनता के बीच अपनी पैठ प्रदेश में बढ़ाये इस पर मंथन होगा। जून में होने वाले राज्यसभा के चुनाव को लेकर भी किसे उम्मीदवार बनाया जाए, इस पर भी इस बैठक में विचार होगा। इन सब के अलावा कांग्रेस मिशन 2023 के चलते सभी नेताओं को एकजुट रखना चाहती है,  इस दृष्टि से इस बैठक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

महत्व नहीं मिलने से नाराज हैं नेता

हाल ही में प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अलग-अलग जाकर कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी से मुलाकात कर चुके हैं। खंडवा लोकसभा के उपचुनाव की हार के बाद अरुण यादव समर्थक बुरहानपुर शहर एवं ग्रामीण और खंडवा शहर एवं ग्रामीण के जिला अध्यक्षों को कमलनाथ ने हटा दिया था। इससे वे नाराज चल रहे थे। सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात को इन दोनों जिलों के अध्यक्षों को हटाये जाने से भी जोड़कर देखा जा रहा है। अब होने वाली बैठक से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नाथ अब सभी को साध कर मिशन 2023 की तैयारियों में जुटेने जा रहे हैं।

अजय सिंह का छलका दर्द

इधर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का मंगलवार को सतना जिले के मैहर में कांग्रेस के एक कार्यक्रम में दर्द छलक आया। उन्होंने सभी सभा में यहां पर मौजूद प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री नरेश सर्राफ को संबोधित करते हुए बघेली में कहा कि आपके अध्यक्ष (कमलनाथ) के पास ज्यादा जोर है। उनसे कह दें, आपकी तरह हमें भी दायित्व दे दें तो हम भी दौड़ने लगेंगे, नहीं तो यू ही टुटूर टुटूर दौड़ते रहेंगे।

नेता प्रतिपक्ष को लेकर भी हो सकती है बातचीत

सूत्रों की मानी जाए तो कमलनाथ अब प्रदेश के साथ ही केंद्रीय संगठन में भी सक्रिय हो सकते हैं। इसलिए लिए उन्हें प्रदेश की कुछ जिम्मेदारियों से मुक्त होना होगा। ऐसा माना जा रहा है कि वे नेता प्रतिपक्ष का पद किसी और को दिए जाने पर भी इस बैठक में चर्चा कर सकते हैं।

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