नवजोत सिद्धू को पंजाब के उपमुख्यमंत्री रंधावा की बड़ी सलाह, कहा- अपनी जुबान बंद रखें, ‘मैं’ कहना छोड़ें
चंडीगढ़
कांग्रेस के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ मंत्रियों में रोष बढ़ता जा रहा है। खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु के बाद अब गृह मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सिद्धू को आड़े हाथों लिया है। एक चैनल के साथ बातचीत में रंधावा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा मजीठिया पर की जा रही बयानबाजी को लेकर कहा कि सिद्धू को अपनी जुबान बंद रखनी चाहिए, क्योंकि मामला कोर्ट में है। सिद्धू को यह संदेश नहीं देना चाहिए कि कोई राजनीतिक बदलाखोरी हो रही है। सिद्धू अगर कह रहे हैं कि उनके कहने पर कार्रवाई हो रही है तो ठीक है, लेकिन ऐसे बोलना नहीं चाहिए। पंजाब विधानसभा चुनाव में कूदने से पहले प्रदेश कांग्रेस में फिर अहं का टकराव शुरू हो गया है। रंधावा ने कहा कि सिद्धू अति महत्वाकांक्षी हैं। उन्हें 'मैं' के बजाय यह कहना चाहिए कि मेरी पार्टी करेगी। रंधावा ने यह भी कहा कि मंच पर खड़े होकर प्रत्याशी की घोषणा करना कांग्रेस का कल्चर नहीं है। सिद्धू को पार्टी का कल्चर सीखना चाहिए। रंधावा से पहले आशु ने भी सिद्धू को यही सलाह दी थी।
रंधावा ने सिद्धू द्वारा स्टेज से खड़े होकर प्रत्याशियों की घोषणा करने पर भी सवाल खड़े किए। गृह मंत्री ने कहा कि पार्टी का एक कल्चर है। स्क्रीनिंग कमेटी नाम फाइनल करके कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) को भेजती है। सीडब्ल्यूसी उस नाम पर मोहर लगाती है। स्टेज से प्रत्याशी की घोषणा करनी हो तो स्क्रीनिंग कमेटी या पार्टी हाईकमान की क्या जरूरत है। एक सवाल के जवाब में रंधावा ने कहा 'जब से मैं गृह मंत्री बना हूं सिद्धू नाराज है। हालांकि मेरी उनसे बात नहीं हुई है।' उन्होंने कहा कि हाईकमान कहे तो मैं गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे दूं और इस्तीफा सिद्धू के चरणों में रख दूं। रंधावा यही नहीं रुके उन्होंने कहा कि सिद्धू अगर कहें तो मैं राजनीति भी छोड़ दूंगा। सिद्धू द्वारा बार-बार मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग को लेकर रंधावा ने कहा कि यह कांग्रेस का कल्चर नहीं है। चुनाव जीतने के बाद विधायक ही मुख्यमंत्री के नाम का फैसला करते हैं। क्या मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष दूल्हा नहीं है? कांग्रेस क्या बगैर प्रदेश अध्यक्ष के ही चल रही है। ऐसी बातें उन्हें नहीं करनी चाहिए।