राजनीतिक

राहुल गांधी ने पहले ही दिन कर दी थी भविष्यवाणी- ‘कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे प्रशांत किशोर’

 नई दिल्ली।
 

कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच डील फाइनल नहीं हो सकी। इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने पहले ही दिन इस बात की भविष्यवाणी कर दी थी कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस के कई नेताओं को लगा कि चुनावी रणनीतिकार अन्य दलों तरह कांग्रेस का भी इस्तेमाल करना चाहते हैं। पार्टी के सूत्र ने यह जानकारी दी है। प्रशांत किशोर यानी पीके को दो दिन पहले कांग्रेस कमेटी में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी की पेशकश की गई थी, हालांकि उन्होंने मंगलवार को इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत किशोर की कांग्रेस पुनरुद्धार योजना की समीक्षा करने वाले समूह का हिस्सा रहे वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बताया, "पीके को कांग्रेस में शामिल होने की पेशकश कल से एक दिन पहले की गई थी। उन्होंने इससे इनकार कर दिया। हमें नहीं पता आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया।"

8वीं बार हो रही थी कांग्रेस से पीके की बात
सूत्रों ने बताया कि पीके या तो कांग्रेस अध्यक्ष का राजनीतिक सचिव या उपाध्यक्ष बनना चाहते थे। सूत्रों ने कहा, "राहुल गांधी ने पहले दिन ही कहा था कि पीके कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे। यह पहली बार नहीं है जब उन्हें पार्टी में जगह दी जा रही थी।" कुछ ने तो यहां तक कहा कि यह आठवीं बार पीके ने कांग्रेस में शामिल होने के लिए बातचीत की थी।
 
पीके से सावधान थे कई कांग्रेसी नेता
सूत्रों ने कहा कि पीके ने कांग्रेस नेताओं की तलाश की और पुरानी पुरानी पार्टी को फिर से जीवित करने के रोडमैप पर अपनी प्रस्तुति देने के लिए एक बैठक की मांग की। राहुल गांधी ने पीके के प्रस्तावों पर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। इसके बाद उन्होंने कथित तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "समिति के विभिन्न कांग्रेस नेताओं ने उनके प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार किया, लेकिन पीके से सावधान रहे। दो मुख्यमंत्रियों को भी उनसे चर्चा करने के लिए कहा गया था।" पीके के प्रस्तावों का आकलन करने वाले समूह के कई लोगों ने महसूस किया कि वह विश्वसनीय नहीं थे और उन्होंने अन्य पार्टियों के साथ काम करना जारी रखते हुए कांग्रेस के मंच का उपयोग करने की योजना बनाई थी।

प्रियंका को भी नहीं था पूरा भरोसा
सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी की कथित अलगाव हर बैठक में प्रियंका गांधी की मौजूदगी के विपरीत थी, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद रहीं। 2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में पीके के साथ पार्टी के इतिहास को देखते हुए प्रियंका गांधी भी पूरी तरह से आश्वस्त नहीं थीं। सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर एक समिति की सदस्यता के लिए तैयार नहीं थे। नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार और अमरिंदर सिंह जैसे लोगों के सीधे संपर्क रह चुके प्रशांत किशोर सोनिया गांधी तक सीधी पहुंच चाहते थे और भारत की सबसे पुरानी पार्टी के लिए अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए एक फ्री हैंड चाहते थे।

 

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