भ्रामक बयानबाजी कर सेना के मनोबल को गिरा रहे हैं राहुल गांधी – भाजपा
नई दिल्ली| भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा भारतीय सेना की बात नहीं सुनने के लगाए गए आरोप पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी भ्रामक बयानबाजी कर रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में भारतीय सेना को कार्रवाई करने की खुली छुट है और सीमा पर भारतीय सेना अपने शौर्य और बहादुरी की अनूठी मिशाल पेश कर रही है।
त्रिवेदी ने राहुल गांधी को कांग्रेस शासन की याद दिलाते हुए कहा कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी पुस्तक 'ए प्रॉमिस्ड लैंड' में वर्ष 2010 में भारत दौरे के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के संदर्भ में लिखा है कि 26/11 हमले के बाद भारतीय सेना कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार थी, किन्तु उस समय कांग्रेस की सरकार ने कार्रवाई करने की अनुमति नहीं दी थी, क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को लगा कि सैन्य कार्रवाई से उपजी परिस्थिति में भारतीय जनता पार्टी को लाभ मिल सकता है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को केएम करियप्पा की भी बातें याद रखनी चाहिए जिससे उन्हें पता चलेगा कि किस प्रकार वर्ष 1960 में फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने कांग्रेस सरकार से सीमा पर कार्रवाई करने की मांग की थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कार्रवाई करने से सख्त मना कर दिया था।
भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पहले भी सेना को काम करने की छूट नहीं देती थी, आज भी सेना को लेकर सिर्फ और सिर्फ गलत बयानबाजी कर सेना के मनोबल को नीचा दिखाने का लगातार प्रयास कर रही है। राहुल कहते हैं कि सेना को अपना काम करने दीजिए। हम काम करने दे रहे हैं, तभी तो सेना मैदान मार रही है।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की बढ़ती वैश्विक साख का जिक्र करते हुए त्रिवेदी ने कहा कि जिस देश के प्रधानमंत्री रूस-यूक्रेन संकट के दौरान समस्या का हल कुटनीतिक स्तर पर, निकालने के लिए दोनों देशों से बातचीत कर विश्व भर में सराहना पा रहे हों, जिसे जी-20 की अध्यक्षता मिली हो जिसमें दुनिया की दो-तिहाई आबादी एवं तीन-चौथाई अर्थव्यवस्था के देश हैं, राहुल गांधी को वह विदेश नीति सफल नहीं दिख रही है।
उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी को भारतीय जनता पार्टी से सीखना चाहिए कि एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका किस ढंग से निभायी जाती है। 2013 में केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा के समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेन्द्र मोदी ने किस प्रकार सहयोग का हाथ बढ़ाया था, राहुल गांधी को याद रखना चाहिए। जब नवाज शरीफ ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के लिए आपत्तिजनक शब्द कहे थे तो बतौर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को कड़ा सन्देश देते हुए कहा था कि देश के प्रधानमंत्री का अपमान सभी भारतीयों का अपमान है।
उन्होंने कहा कि भाजपा जनसंघ के समय से ही संवेदनशील समय में हमेशा देश के साथ खड़ी रही है। हम लोगों ने 1995 में जेनेवा और 1971 युद्ध के समय कांग्रेस सरकार को पूर्ण समर्थन दिया था। 1962 युद्ध के समय जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई थी। युद्ध के समय आरएसएस की सेवा और निष्ठा से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1963 के गणतंत्र दिवस परेड समारोह में संघ को आमंत्रित किया था आ्रैर उनकी भूरी भूरी प्रशंसा भी की थी।
त्रिवेदी ने कहा कि राहुल गांधी कह रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मैन्युफैक्च रिंग नहीं देखी जा रही है जबकि हमने पिछले साल 23 हजार करोड़ रुपये के स्मार्टफोन निर्यात किए थे। आज हम स्मार्टफोन के दूसरे सबसे बड़े निर्माता देश बन चुके हैं। दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी सैमसंग की यूनिट भारत में है। हम ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण कर रहे हैं, विमान वाहक युद्धपोत भी बन रहे हैं, लेकिन राहुल कह रहे हैं कि देश में मैन्युफैक्च रिंग ही नहीं हो रहा है।
त्रिवेदी ने कहा, मोहब्बत की दुकान सजाने के दावे का सच इस तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा में तब देखने को मिला जब सड़क पर बीफ पार्टी करने वाले नेता केरल में इससे जुड़े, भारत की धरती से नफरत करने वाले पादरी जॉर्ज पुन्नैया से राहुल तमिलनाडु में यात्रा के दौरान मिले, भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महाराष्ट्र में वीर सावरकर के प्रति नफरत फैलाते मिले। कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हिंदू शब्द को गन्दा कहते हैं, फिर नक्सली हिंसा की समर्थक और नक्सलियों को गांधीयन्स विथ गन्स कहने वाले और गुजरात के विकास से नफरत की प्रतीक मेधा पाटकर तथा टुकड़े-टुकड़े की कुख्याति वाला नौजवान का साथ भी इस भारत जोड़ो यात्रा को मिल रहा है। नफरत के इतने जहर, बुझे सामानों के साथ, कौन सी मोहब्बत की दुकान का झांसा दे रहे हैं राहुल गांधी ?