हिमाचल में सूक्खू सरकार ने पूरा किया चुनावी वादा बहाल की पुरानी पेंशन योजना
शिमला । हिमाचल प्रदेश में लोहड़ी एवं मकर सक्रांति के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में प्रदेश के सभी एनपीएस कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। राज्य सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के लगभग 1।36 लाख एनपीएस कर्मचारी लाभान्वित होंगे।
मुख्यमंत्री ने पीटरहॉफ में कहा कि राज्य सरकार ने ओपीएस लागू करने का यह निर्णय सभी एनपीएस कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के उपरांत सम्मानजनक जीवन प्रदान करने के उद्देश्य से लिया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी द्वारा दी गई 10 गारंटियों में से एक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है और ओपीएस लागू करने का निर्णय भी राज्य के नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा के दृष्टिगत लिया गया है।
उन्होंने कहा कि ओपीएस के लिए धनराशि की व्यवस्था अनावश्यक खर्चों में कटौती कर की जाएगी और वर्तमान सरकार का मानना है कि ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो नामुमकिन है। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा चुनाव के दौरान किए गए वायदों और युवाओं के लिए रोजगार के एक लाख अवसर सृजित करने के लिए एक मंत्रिमंडलीय उप-समिति का गठन किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस उप-समिति में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर शामिल होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा इसके अलावा 18 से 60 वर्ष की महिलाओं को 1500 रुपये प्रदान करने के वायदे को पूरा करने के लिए रूपरेखा तैयार करने को भी एक मंत्रिमंडलीय उप-समिति गठित की गई है। उन्होंने कहा कि इस उप-समिति में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ कर्नल धनीराम शांडिल कृषि मंत्री चंद्र कुमार एवं ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि दोनों उप-समितियां एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार से वर्तमान सरकार को 75 हजार करोड़ का कर्ज विरासत में मिला है जो पूर्व सरकार के कुप्रबंधन एवं फिजूलखर्ची का परिणाम है। वर्तमान राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों को वेतन बकाया के रूप में 4430 करोड़ रुपये और पेंशनरों के पेंशन बकाया के रूप में 5226 करोड़ रुपये की देनदारी है। इसके अलावा सरकार पर कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते के रूप में 1000 करोड़ रुपये की देनदारी पिछली राज्य सरकार द्वारा छोड़ी गई है। इस प्रकार पूर्व सरकार ने 11000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ वर्तमान सरकार पर डाला है।