राजनीतिक

हारे हुए निकायों में संगठन चुनाव के जरिए होगा फेरबदल, गिर सकती है नाथ की गाज

भोपाल
नगर निगमों और नगर पालिकाओं के चुनाव परिणामों के बाद कुछ जिलों के अध्यक्षों पर गाज गिरा सकते हैं। इनके साथ ही कार्यकारी अध्यक्ष और अन्य जिला पदाधिकारियों को भी दायित्वों से मुक्त किया जा सकता है। दरअसल कांग्रेस ने पहले से ही यह तय कर लिया था कि निकाय चुनाव की हार के बाद संगठन चुनाव के जरिए कमजोर पदाधिकारियों की छुट्टी कर दी जाएगी।  सूत्रों की मानी जाए तो कमलनाथ अब यह मान कर चल रहे हैं कि संगठन के शहरों में कमजोर होने का खामियाजा नगर निगम के चुनावों में पार्टी को उठाना पड़ा हैं।

नाथ ने जिलों में अध्यक्ष के साथ ही कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की थी। अधिकांश जिलों में तीन से चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए थे, इसके पीछे मकसद यह था कि जिलों में कांग्रेस का संगठन मजबूत हो सके और उसका लाभ कांग्रेस को चुनावों में मिल सके। इसके बाद भी निकाय चुनावों में ऐसा लाभ कांग्रेस को नहीं मिला सका, जिसकी उम्मीद कमलनाथ ने संगठन के पदाधिकारियों के जरिए की थी।

अब कमलनाथ फिर से ऐसे कुछ जिला अध्यक्षों को बदल सकते हैं, जिनकी पार्टी कार्यकर्ताओं पर पकड़ नहीं हैं। इसमें भोपाल शहर अध्यक्ष सहित कई जिलों के अध्यक्षों पर गाज गिर सकती है। इनके साथ ही कार्यकारी अध्यक्षों को भी अपने पद से हाथा धोना पड़ सकता है। हालांकि नाथ ने पहले चरण के आए परिणामों के बाद सभी निकायों से रिपोर्ट तलब की है। इस रिपोर्ट के बाद वे कड़े निर्णय ले सकते हैं।

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