चुनाव में जीत पक्की करने को रोज 68 सौ से मिलना होगा
हल्द्वानी
कोरोना काल ने पिछले दो साल में खरीददारी से लेकर पढ़ाई का तरीका बदल दिया है। अब बारी चुनाव प्रचार की है। संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव में रैली, जनसभा, नुक्कड़ सभाओं पर प्रतिबंध लगाया है। ऐसे में राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को चुनावी रण में डोर-टू-डोर कैंपेन की नई चुनौती से गुजरना होगा। पार्टियों ने इसका खाका तैयार करना भी शुरू कर दिया है। हल्द्वानी विधानसभा सीट की बात करते हैं। कुमाऊं का प्रवेश द्वार होने के साथ ही राजनीतिक दृष्टिकोण से देहरादून के बाद दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र है। नई मतदाता सूची के अनुसार यहां 1,50,634 कुल मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 78,642 और महिला मतदाताओं की संख्या 71,992 है। चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद 21 जनवरी से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
साथ ही 12 फरवरी को चुनाव प्रचार थम जाएगा। नामांकन के बाद प्रत्याशियों को कैंपेनिंग के लिए 22 दिन का समय मिलेगा। ऐसे में प्रत्याशियों को खुद हर दिन 6800 से ज्यादा मतदाताओं तक प्रचार को पहुंचना होगा, तब जाकर 12 जनवरी तक पूरी हल्द्वानी विधानसभा कवर हो पाएगी। इधर, हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम क्षेत्र में कुल 70 वार्ड हैं। लेकिन इनमें से 40 वार्ड ही हल्द्वानी विधानसभा में शामिल हैं। इन वार्डों को 183 बूथों में विभाजित किया गया है। ऐसे में ये काम पार्टियों और प्रत्याशियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होने वाला है। वहीं, बड़े राजनीतिक दलों के पास कार्यकर्ताओं की फौज और मजबूत संगठनात्मक ढांचा होता है। लेकिन छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए एक दिन में 6800 लोगों तक पहुंचना और रोजाना 915 कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
हर प्रत्याशी को चाहिए होंगे 915 कार्यकर्ता
कोरोना को देखते हुए चुनाव आयोग की सख्त गाइडलाइन में कहा गया है कि डोर-टू-डोर चुनाव कैंपेन में प्रत्याशी के साथ 5 से ज्यादा लोग नहीं होने चाहिए। ऐसे में हल्द्वानी में जिस तरह बूथों की संरचना है, ऐसे में चुनाव प्रचार के लिए रोजाना करीब 915 कार्यकर्ताओं की जरूरत होगी। इन टोलियों को एक दिन नहीं, बल्कि पूरे 22 दिन तक प्रचार अभियान में जुटे रहना होगा।