राजनीतिक

उद्धव ठाकरे ने PM मोदी को एकनाथ शिंदे से सतर्क रहने की दी नसीहत

 मुंबई।
 
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर इन दिनों अपनी पार्टी शिवसेना पर पकड़ बनाए रखने की चुनाती मुंह बाए खड़ी है। हाल ही में एकनाथ शिंदे की अगुवाई में विधायकों के बागी तेवर के बाद उन्हें सीएम की गद्दी छोड़ने पड़ी थी। इस बीच उन्होंने संजय राउत को पार्टी के मुखपत्र सामना के लिए एक इंटरव्यू दिया है। इसमें उन्होंने कई मुद्दों पर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने शिंदे, फडणवीस से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी बात की है। फडणवीस के सीएम नहीं बनने पर उद्धव ठाकरे ने हैरानी जताई है। उन्होंने कहा, ''देवेंद्र फडणवीस के साथ भाजपा ने ऐसा बर्ताव क्यों किया, यह मेरी भी समझ से परे है, पर ठीक है। वह उनकी पार्टी का अंदरूनी मामला है। उनकी पार्टी के पुराने परिचित निष्ठावान, उस वक्त हमारे साथ युति में शामिल अनेक नेता आज भी मेरे संपर्क में हैं। पर वे निष्ठापूर्वक भाजपा के साथ हैं। उनको लेकर मुझे ऐसी गलतफहमी पैदा नहीं करनी है कि उन्हें शिवसेना के साथ आना है। मैं बेवजह ऐसा खोखला दावा करूंगा भी नहीं। लेकिन उन्हें मौजूदा हालात पच नहीं रहे हैं। फिर भी वे निष्ठा से भाजपा के काम कर रहे हैं।" एकनाथ शिंदे को सीएम बनाने पर उद्धव ठाकरे ने कहा, ''यहां बाहरी लोगों को सब कुछ दिया गया। उनके सिर पर बाहर के लोगों को बिठाया गया। उस समय ऊपरी सदन में विरोधी पक्ष नेता के तौर पर बाहर का व्यक्ति। अब मुख्यमंत्री सहित अन्य पदों पर भी बाहर के ही लोग बिठाए गए हैं, फिर भी वे निष्ठापूर्वक काम कर रहे हैं।''
 
उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘हर पाप का घड़ा भरता है। कल ये महाशय (एकनाथ शिंदे) खुद को नरेंद्र भाई मोदी समझेंगे और प्रधानमंत्री पद पर दावा करेंगे। भाजपाइयों सावधान!’उद्धव ठाकरे ने आगे कहा, ‘महाविकास आघाड़ी का प्रयोग गलत नहीं था। लोगों ने स्वागत ही किया था। वर्षा छोड़कर जाते समय महाराष्ट्र में अनेकों के आंसू बहे। किस मुख्यमंत्री को ऐसा प्यार मिला है? उन आंसुओं का मोल मैं व्यर्थ नहीं जाने दूंगा।’

कांग्रेस पर नहीं था भरोसा?
फ्लोर टेस्ट के सवाल पर उद्धव ठाकरे ने कहा, ''मुझे लगातार यह महसूस कराया जाता था कि कांग्रेस दगा देगी और पवार साहेब पर तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं किया जा सकता है। वे ही आपको गिराएंगे, ऐसा ही सब कहते थे। अजीत पवार के बारे में भी मेरे पास आकर बोलते थे। हालांकि मुझे मेरे ही लोगों ने दगा दिया। फिर सदन में एक व्यक्ति ने भी मेरे विरुद्ध वोट दिया होता तो वह मेरे लिए लज्जास्पद होता।"'

उद्धव ने कहा, ''अगर उन्होंने आखिरी वक्त में भी ठीक से कहा होता तो भी सब कुछ सम्मानजनक ढंग से हो गया होता। एकदम आखिरी क्षण में भी मैंने इन विश्वासघातियों से यह पूछा भी था कि आपको मुख्यमंत्री बनना है क्या? ठीक है न, हम बात करते हैं। हम कांग्रेस-राष्ट्रवादी से बात करेंगे। भाजपा के साथ जाना है क्या, तो भाजपा से इन दो-तीन प्रश्नों का उत्तर मिलने दो। ठीक है, कांग्रेस राष्ट्रवादी को जाकर बताऊं कि मेरे लोग तुम्हारे साथ खुशी से रहने को कोई तैयार नहीं, पर उनमें उतनी हिम्मत नहीं थी। कारण ही नहीं था न कोई। रोज नए कारण सामने आ रहे हैं।''

मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार थे उद्धव?
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ''मुख्यमंत्री पद स्वीकार करने की मेरी इच्छा ही नहीं थी। लेकिन उस समय एक जिद के नाते वो किया, मैं स्वेच्छा से मुख्यमंत्री नहीं बना, बल्कि एक जिद के चलते मुख्यमंत्री बना। उसी जिद के सहारे ढाई वर्षों तक काम-काज को मैंने मेरे तरीके से किया।''

 

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