संसद का शीतकालीन सत्र आज से, विपक्ष ने ईडब्ल्यूएस कोटा महंगाई समेत कई मुद्दों पर चर्चा की मांग की
नई दिल्ली। नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार से शुरू हो रहा है। संसद सत्र शुरू होने से पहले केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में सभी पार्टी के नेताओं ने शिरकत की। इस दौरान सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने महंगाई बेरोजगारी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कोटे सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग की। दरअसल विधायी एजेंडे और 7 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संभावित मुद्दों पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार की तरफ से बुलाई गई बैठक में सभी प्रमुख दलों के नेताओं ने भाग लिया। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन समेत कई नेता मौजूद रहे।
कांग्रेस पार्टी ने भारत जोड़ो यात्रा के बीच दिल्ली के जंतर-मंतर पर नौ दिसंबर को राष्ट्रीय स्तर की रैली आयोजित करने की घोषणा की है। सात दिसंबर से संसद सत्र शुरू हो रहा है। सत्र की शुरुआत में ही कांग्रेस पार्टी ने किसानों की मांग उठा दी है। भारत जोड़ो यात्रा उत्तर भारत में प्रवेश कर चुकी है। आने वाले दिनों में भारत जोड़ो यात्रा ऐसे कई बड़े राज्यों से गुजरेगी जहां किसान आंदोलन का व्यापक असर रहा है। मंगलवार को अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैरा ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम 14 मांगों वाला एक पत्र जारी किया है। पीएम मोदी से मांग की गई है कि वे कॉरपोरेट सेक्टर का 10 लाख करोड़ रुपये का ऋण माफ कर सकते हैं तो किसानों का क्यों नहीं। देश का किसान कर्ज में डूबा है और आत्महत्या करने पर मजबूर है। सुखपाल सिंह खैरा का दावा है कि इस रैली में देशभर से भारी संख्या में किसान शामिल होंगे।
किसानों की मांगों पर कोई कदम नहीं उठाया
कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा अब राजस्थान में है। उसके बाद यह यात्रा उत्तर भारत के दूसरे राज्यों में पहुंचेगी। यात्रा की मजबूती के लिए पार्टी ने किसानों को साथ लेने की रणनीति बनाई है। यही वजह है कि अब संसद सत्र की शुरुआत में ही एक बड़ी रैली आयोजित करने की घोषणा कर दी है। सुखपाल सिंह खैरा कहते हैं कि देश के किसानों एवं खेतिहर मजदूरों की विकट समस्याओं के प्रति केंद्र सरकार उदासीन है। उनकी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है। किसानों की समस्याओं के शीघ्र निराकरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा गया है। इसमें किसान आंदोलन का जिक्र भी हुआ है। आंदोलन को खत्म हुए लगभग एक वर्ष हो चुका है लेकिन केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों पर कोई कदम नहीं उठाया। ऐसी स्थिति में किसानों के लिए दोबारा से सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचा है।
एमएसपी के लिए नई कमेटी गठित हो
बतौर खैरा यह दुर्भायपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने किसानों के प्रति कोई भी ऐसा सकारात्मक कदम नहीं उठाया जिससे किसानों में विश्वास पैदा हो। उन्हें अपनी मांगों के पूरा होने की उम्मीद नजर आए। इन हालातों के मद्देनजर अखिल भारतीय किसान कांग्रेस ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विशाल रैली एवं प्रदर्शन करने की घोषणा की है। किसानों की मांगों में कानूनी तौर से न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देना शामिल है। यह गारंटी स्वामीनाथन रिपोर्ट के आधार पर सभी फसलों के लिए ष्ट2+50 प्रतिशत के फॉर्मूले पर होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने इस दिशा में जो कमेटी गठित की थी उसे किसान पहले ही नकार चुका है। पुरानी कमेटी भंग की जाए एमएसपी के लिए कानूनी तौर पर गारंटी देने के लिए नई कमेटी गठित हो। इसमें किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए। खेती की लागत बढऩे और उत्पादन का सही मूल्य न मिलने के कारण किसान कर्ज में डूबा है। वह आत्महत्या करने पर मजबूर है।
इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 को वापस लिया जाए
पीएम को लिखे पत्र में कॉरपोरेट सेक्टर की तर्ज पर किसानों का कर्ज माफ करने की मांग की गई है। खेतिहर मजदूरों का ऋण पूर्णतया माफ किया जाए। केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में किसान मोर्चा को लिखे एक पत्र में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 को वापस लेने का लिखित वादा किया गया था लेकिन वही बिल संसद में पेश कर दिया गया है। इसे वापस लिया जाए। सुखपाल खैरा ने अपने पत्र में लिखा है कि लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के लिए मुख्य साजिशकर्ता एवं केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाए। गिरफ्तार किए गए बेकसूर किसानों को रिहा किया जाए। किसानों पर दर्ज किए गए झूठे मुकदमें खारिज हों। किसानों की फसल को सूखा बाढ़ तूफान व अधिक बारिश आदि प्राकृतिक आपदाओं से राहत देने के लिए सभी तरह की फसलों पर कारगर बीमा योजना शुरू हो।
आंदोलनों के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे रद्द हों
सभी छोटे लघु मध्यम किसानों व खेतिहर मजदूरों के लिए 5000 रुपये प्रतिमाह की किसान पेंशन योजना आरंभ की जाए। सभी राज्यों में किसान आंदोलनों के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमे रद्द किए जाएं। किसान आंदोलनों में शहीद हुए किसानों के परिवारों को उचित मुआवजे के अलावा नौकरी देने का प्रावधान सुनिश्चित किया जाए। सिंधु मोर्चा स्थल पर शहीद किसानों के सम्मान के लिए किसान शहीद स्मारक स्थापित किया जाए। किसानों के खेत में काम कर रहे मजदूरों को भी मनरेगा स्कीम के अंतर्गत लाया जाए। इससे न केवल अधिक मजदूरों को रोजगार की गारंटी प्राप्त होगी बल्कि किसानों को भी कम लागत पर खेती करने का लाभ मिलेगा। निजी क्षेत्र में किए जा रहे साइलो भंडारण नीति का किसानों ने कड़ा विरोध किया है। इसकी जगह किसानों की सहकारी समिति गठित कर भंडारण व्यवस्था शुरू की जाए। इससे किसानों को रोजगार प्राप्त हो सकेगा।
क्या बोले संसदीय कार्य मंत्री
सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि आज हुई सर्वदलीय बैठक में 47 में से 31 पार्टियों ने हिस्सा लिया। हम हर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं विपक्ष की ओर से कुछ सुझाव आए हैं। स्पीकर और चेयरमैन की अनुमति के बाद चर्चा होगी। मैं इस आरोप की निंदा करता हूं कि हम क्रिसमस की उपेक्षा कर रहे हैं 24 और 25 दिसंबर को अवकाश रहेगा।
विपक्ष ने की सरकार से ये मांग
सरकार का प्रतिनिधित्व केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में बीजेपी के उप नेता राजनाथ सिंह और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने किया। इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद रहे। बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति सिर्फ एक दिन में करने ईडब्ल्यूएस कोटा और बेरोजगारी पर चर्चा की मांग की। सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने बयान दिया। उन्होंने कहा हमने सरकार को कहा है कि जैसे हिंदू मुस्लिम के त्योहार होते हैं वैसे ईसाई लोगों का भी त्योहार होता है। यह बात ईसाई लोगों के त्योहार के समय ध्यान रखनी जरूरी है। उनकी जनसंख्या कम है लेकिन यह बात हमें सोचनी चाहिए। हम सत्र को छोटा बंद कर त्योहर मनाने के लिए नहीं कह रहे बल्कि सरकार को इसके बारे में सोचने के लिए कह रहे। सरकार 24-25 विषयों पर चर्चा कराना चाहती है जिसके लिए समय नहीं क्योंकि यह सत्र 17 दिन का है।