इन ‘3 हथियार’ से BJP ने 2017 में सपा को दी थी मात, फिर आजमा रहा भगवा दल
लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मात देने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। इस दौरान बीजेपी एक बार फिर कैराना से पलायन, मुलायम परिवार में फूट और राजनीतिक के अपराधिकरण पर सपा को घेरने की पूरी कोशिश कर रही है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में कहा जाने लगा है कि बीजपेी 2017 की चुनावी पटकथा को एक बार फिर आजमा रही है। उसे भरोसा है कि यूपी चुनाव में इस घेराबंदी से फिर उसे फिर से 2017 जैसी जीत हासिल होगी।
एक वरिष्ठ भाजपा नेता का कहना है कि कैराना से पलायन का मुद्दा भाजपा के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। हमारी प्राथमिकता घरों को छोड़कर गए लोगों को वापस लौटने में मदद करने की रही है। भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने जून 2016 कैराना से पलायन करने वाले 346 लोगों की सूची जारी की थी। उनके मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस मुस्लिम बाहुल्य इलाके में एक समुदाय विशेष के लोग आपराधिक तत्वों की धमकी और वसूली से परेशान थे। कैराना से पलायन लॉ एंड आर्डर का बड़ा मुद्दा बन गया था। तब राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी ने 2017 के चुनाव में अखिलेश सरकार को करारी हार दी। अब देश के गृहमंत्री बन चुके अमित शाह एक बार फिर कैराना लौटे है। कैराना की गलियों में घर-घर सम्पर्क के जरिए उन्होंने 2017 के चुनाव की तरह वेस्ट यूपी में भगवा लहर पैदा करने की कोशिश की।
दरअसल, 13 जनवरी को सपा-रालोद द्वारा उम्मीदवारों की अपनी लिस्ट जारी करते ही भाजपा ने कैराना से नाहिद हसन को टिकट दिए जाने को लेकर अखिलेश यादव पर हमला बोल दिया था। नाहिद को कैराना से पलायन का मास्टरमाइंड बताते हुए उन्होंने सवाल खड़े किए थे। 16 जनवरी को नाहिद को यूपी गैंगेस्टर एंड एंटी सोशल एक्टिविटीज (प्रीवेंशन) एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। यह मामला पिछले साल फरवरी में दर्ज किया गया था। नाहिद की पहल इकरा हसन ने बैकअप प्लान के तहत अपना पर्चा दाखिल किया है।
सपा इसे यूपी के चुनाव को सम्प्रदायिक बनाने की कोशिश बता रही है। सपा प्रवक्ता ने अब्दुल हसन ने कहा, '' उनके पास मतदाताओं को दिखाने के लिए कोई काम नहीं है इसलिए एक बार फिर कैराना को मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है।