नागपंचमी पर शुभ महा संयोग, करें ये उपाय, मिलेगा लाभ
सावन का महीना केवल भगवान शिव को ही नहीं, बल्कि उनके गले में विराजे नाग देवता के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। बालाजी ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने बताया कि सावन महीने में मनाए जाने वाले नागपंचमी के दिन किए गए उपायों से व्यक्ति को कुंडली के कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है। हिंदू धर्म में सावन का महीना सबसे पवित्र और पावन माना गया है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित माना गया है। इसी सावन के महीने में नागपंचमी का पर्व भी मनाया जाता है। भगवान शिव के गले में विराजे नाग देवता की यदि विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाए तो व्यक्ति को कुंडली के कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है। हिंदू धर्म में नागपंचमी के पर्व का विशेष महत्व है। नाग देवताओं को समर्पित यह पर्व वहीं कुछ राज्यों में सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 9 अगस्त दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। सावन मास भगवान शिव का प्रिय मास है और इस मास में शिव के गण नाग देवता की पूजा करने का भी विधान हैं। नाग पंचमी पर मुख्य रूप से आठ नाग देवताओं की पूजा की जाती है और वे हैं वासुकि, ऐरावत, मणिभद्र, कालिया, धनंजय, तक्षक, कर्कोटकस्य और धृतराष्ट्र। इनकी पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सर्प भय से मुक्ति मिलती है।
नाग पंचमी पर बेहद शुभ योग-
सावन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस नाग पंचमी की पूजा बिहार, बंगाल उड़ीसा, राजस्थान आदि इन क्षेत्रों में मनाया जाता है। इस दिन शुक्रादित्य योग, शोभन योग का शुभ संयोग भी रहेगा। वहीं शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 9 अगस्त को देश के अन्य राज्यों में मनाया जाएगा।
नाग पंचमी का महत्व-
सावन का महीना वर्षा ऋतु का होता है और इस माह में सांप भू गर्भ से निकलकर भू तल पर आ जाते हैं। नाग निकलकर किसी को भी आहत ना कर दें, इसलिए नाग पंचमी की पूजा-अर्चना की जाती है। शास्त्रों व पुराणों में बताया गया है कि पंचमी तिथि के स्वामी स्वयं नागदेव हैं और इन दिनों सांपों की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी और घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस दिन नाग देवताओं की पूजा करने से कुंडली में मौजूद राहु व केतु से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है और कालसर्प दोष की पूजा भी करवाई जाती है। पंचमी के दिन इनकी पूजा करने से सभी तरह की रुकावट दूर रहती हैं और मनुष्य को सांपों के भय से मुक्ति भी मिलती है। पुराणों में बताया गया है कि नाग देवता पाताल के स्वामी हैं इसलिए नाग पंचमी या किसी भी अन्य पंचमी के दिन व्यक्ति को भूमि की खुदाई करने से बचना चाहिए।
नाग पंचमी पूजा विधि-
नाग पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर शिवालय में पूजा-अर्चना करें और फिर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर के मेन गेट, घर के मंदिर और रसोई के बाहर के दरवाजे के दोनों तरफ खड़िया से पुताई करें और कोयले से नाग देवताओं के चिन्ह बनाएं। आजकल नाग देवताओं की फोटो बाजारों में भी मिल जाती है, आप उनका भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके बाद पूजा अर्चना करें और दूध अर्पित करें। घर के नाग देवताओं की पूजा करने के बाद खेतों या फिर ऐसे स्थान पर दूध का कटोरा रख दें, जहां सांपों के आने की संभावना हो। नाग देवता की पूजा में सेवई और चावल बनाएंगे। फिर देवताओं को दूध और जल से स्नान करवाएं और धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
इसके बाद सच्चे मन से नाग देवताओं का ध्यान करें और फिर आरती करें। आरती करने के बाद नाग पंचमी की कथा का पाठ भी करें।
पंडित सौरभ गणेश शर्मा, ज्योतिषाचार्य, बालाजी ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र शास्त्री कॉलोनी स्टेशन रोड सीहोर 9229112381