धर्मसीहोर

देवशयन के साथ शुभ कार्य पर लग जाएगी रोक, चातुर्मास प्रारंभ

एकादशी तिथि का हिन्दू धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में बहुत महत्व माना गया है। बालाजी ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के ज्योतिषचार्य पं सौरभ गणेश शर्मा के अनुसार, साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं। हालांकि इस साल अधिक मास के कारण 26 एकादशी तिथियां पड़ेंगी। इन्हीं में से एक है देवशयनी एकादशी, जो 29 जून दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। इस एकादशी के बाद चातुर्मास का आरंभ होगा। देवशयन के साथ ही शुभ कार्य पर भी रोक लग जाएगी।
ज्योतिष के अनुसार है देवशयनी एकादशी के बाद 4 महीने तक कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है। ऐसे में देवों के सोने से पहले कुछ उपाय किए जाएं तो इससे घर में सुख-समृद्धि स्थापित होती है और अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता।
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए-
देवशयनी एकादशी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर लक्ष्मी-नारायण का जलाभिषेक करें। इस उपाय से न सिर्फ मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रसन्न होंगे, बल्कि घर में उनकी कृपा बनी रहेगी।
घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए-
देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले फूल और वस्त्र अर्पित करें एवं इनका दान करें। साथ ही, मां लक्ष्मी के मंत्रों और विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें। इससे घर में खुशहाली आएगी।
आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए-
देवशयनी एकादशी के दिन लाल कपड़े में कुछ कौड़ियां लपेटकर धन रखने वाले स्थान पर रख दें। इससे घर की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, कर्ज और तंगी से छुटकारा मिलेगा एवं धन वृद्धि के योग बनेगे। देवशयनी एकादशी के दिन व्रत रख शाम के समय भगवान विष्णु के लिए बिस्तर लगाएं। बिस्तर पर दक्षिणावर्ती शंख (शंख रखने के वास्तु नियम) को पीले कपड़े में लपेटकर रख दें जो श्री हरि के शयन का प्रतीक होगा। चातुर्मास व्रत का संकल्प भी लें। चातुर्मास के हर गुरुवार को भगवान विष्णु के लिए व्रत रखें। चातुर्मास में कोशिश करें कि घर की उन्नति के लिए समस्त परिवार के साथ हवन आयोजित करें। संभव हो तो चातुर्मास के दौरान किसी भी एक दिन बिस्तर का दान करें। अन्न का दान भी कर सकते हैं। बालाजी ज्योतिष अनुसन्धान केंद्र के ज्योतिषचार्य पं सौरभ गणेश शर्मा ने बताया कि देवशयन के साथ ही चातुर्मास भी शुरू हो रहे हैं। चातुर्मास यानी चार माह। इन चार माह में व्रत और साधना की जाती है। इस दौरान देव सो जाते हैं और मात्र शिवजी एवं उनके गण ही सक्रिय रहते हैं। परंतु इस बार अधिकमास होने के कारण 4 नहीं, बल्कि पांच माह का चातुर्मास रहेगा। ऐसे में बारिश के मौसम के बाद नवंबर की ठंड तक चातुर्मास जारी रहेगा।
कब तक रहेगा चातुर्मास और क्या है इसका महत्व-
चातुर्मास 2023: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ हो जाते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 29 जून को चातुर्मास प्रारंभ होंगे। इसके बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी 23 नवंबर को देव उठनी एकादशी के दिन चातुर्मास समाप्त होंगे। चातुर्मास में आषाढ़ माह के 15 और फिर श्रावण, भाद्रपद, आश्विन माह के बाद कार्तिक माह के 15 दिन जुड़कर कुल चार माह का समय पूर्ण होता है। परंतु इस बार अधिकमास होने के कारण 5 माह का होगा चातुर्मास। इन चातुर्मास से ही वर्षा ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए भी इन चातुर्मास का महत्व है। इन चार माह को व्रत, भक्ति, तप और साधना का माह माना जाता है। इन चार माह में संतजन यात्राएं बंद करके आश्रम, मंदिर या अपने मुख्य स्थान पर रहकर ही व्रत और साधना का पालन करते हैं। इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति तो सही होती ही है, साथ ही वातावरण भी अच्छा रहता है। इन दिनों में साधना तुरंत ही सिद्ध होती है।
पं सौरभ गणेश शर्मा
बाला जी ज्योतिष अनुसन्धान केंद्र शास्त्री कॉलोनी सीहोर
9229112381

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button