धर्म

झांसी की रानी का सर्वोत्तम बलिदान

बात उन दिनों की जब अंग्रेजों के हमले से झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के लिए किले की दीवारें टूटने लगीं और लड़ाई के लिए गिन-टूटने लगीं और लड़ाई के लिए गिनेृ-चुने सैनिक की शेष रह गए थे।

तब यह निश्चय किया गया कि रानी को अन्यत्र चले जाना चाहिए। पर सवाल यह…

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
बात उन दिनों की जब अंग्रेजों के हमले से झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के लिए किले की दीवारें टूटने लगीं और लड़ाई के लिए गिन-टूटने लगीं और लड़ाई के लिए गिनेृ-चुने सैनिक की शेष रह गए थे। तब यह निश्चय किया गया कि रानी को अन्यत्र चले जाना चाहिए। पर सवाल यह था कि यदि इसकी जरा-सी भी भनक अग्रेज अधिकारियों को लग गई तो रानी के पकड़े जाने का डर है। तभी एक महिला सिपाही बोली कि वह इस काम को कर सकती है।

उस महिला सिपाही को योजनाको अनुसार रानी को कुछ सैनिकों के साथ रात के अंधेरे मेम कालपी की ओर भेज दिया गया और उधर वह महिला अंग्रेज छावनी में जा पहुंची। उसने बाहर से ही ललकार लगाई, मैं हूं झांसी की रानी, किसी में दम हैं तो मुझे गिरफ्तार करो। इसी बीच एक गद्दार ने बता दिया कि यह रानी नहीं है। महिला तो पकड़कर मार दिया गया।

तब अंग्रेज़ सेनापति ने कहा यदि भारत को एक प्रतिशच महिलाएं भी इस कदर रानी की रक्षा में आगे आएं तो हमें सात दिन के अंदर हो भारत छोड़ना पड़ जाएगा। जिस महिला सिपाही ने ऐसा सर्वोत्तम बलिदान दिया, उसका नाम था झलकारी बाई, जिसका नाम रानी लक्ष्मी बाई की तरह ही अमर हो गया।
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button