धर्म

वाणी का शरीर पर प्रभाव  

प्रसन्नता से होता है शरीर पुष्ट एवं प्रोध से होती है हानी  मानव शरीर में अनेक ग्रंथियां होती हैं,पियूष ग्रंथि मस्तिष्क में होती है, उससे 12 प्रकार के रस निकलते है, जो भावनाओं से विशेष प्रभावित होती हैं। जब व्यक्ति प्रसन्नचित होता है, तो इन ग्रनथियों से विशेष प्रकार के रस बहने लगते है, जिससे शरीर पुष्ट होने लगता है, बुद्धि विकसित होती है, रक्त गति सामान्य रहती है। जब मनुष्य अधिक बोलता है, तो रक्त की गति अनावश्यक प्रभावित होती है। जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है,खून के थक्के बनने लगते है । इसी प्रकार प्रोध अधिक करने से खून का बहाव कम हो जाता है, खून जमने की शक्ति बढ़ जाने से मृत्यू भी संभव है। अपने जीवन में ज्यादा बोलना अभिशाप हो सकता है। अधिक बोलने से पाचन क्रिया पर गलत प्रभाव पड़ता है, शरीर की अधिक शक्ति खर्च होती है, पेट की माँसपेशियां खिचने लगती है, पाचन रस ग्रंथियों से नही निकलता, शरीर में विटामिन, खनिज तत्व एवं हार्मोन्स की कमी  हो जाती हैं। शरीर रोगी हो जाता है, मानसिक दुर्बलता आ जाती है, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है, याददाश्त कमजोर हो जाती है, अत:वाणी का प्रभाव शरीर पर पड़ता है। हर प्राणी को अपना जीवन झूठा, बनावटी, जोर जोर से बोलने बाला ना बना कर शांत चित बनाना चाहिए । 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button