धर्म

नर्मदा मैया के घाटों पर उमडा श्रदालुओं को सैलाब

सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के अवसर पर आज सुबह से ही नर्मदापूरम में मां नर्मदा के घाटों पर श्रदालुओं का सैलाब उमड पडा। श्रदालु नदी में स्‍नान करने के बाद विधिवत पितरों का तर्पण करते हुए उन्‍हें विदाई दे रहे हैं। रविवार को तड़के 4 बजे से ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। शहर के सेठानीघाट, पर्यटन घाट, कोरी घाट पर लोगों ने पितरों के निमित्‍त पूजन व स्नान किया। सुरक्षा को देखते हुए शहर के हर्बल पार्क, पोस्ट आफिस घाट पर लोगों की आवाजाही पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया है, लिहाजा वहां सन्‍नाटा पसरा है। घाटों पर सुरक्षा के लिए प्रशासन ने समुचित इंतजाम किए हैं। तमाम घाटों पर होमगार्ड, नगरपालिका कर्मियों, व गोताखोरों के साथ पुलिस का अमला भी तैनात। सर्व पितृ अमावस्‍या पर नर्मदापुरम में मां नर्मदा के घाटों पर सुबह से ही लोगों का तांता लगा है। लोग वैदिक मंत्रोच्‍चार के बीच पितरों का तर्पण कर रहे हैं। गौरतलब है कि ज्‍योतिषियीय गणना के अनुसार चार विशेष योगों के संयोग के साथ आज सर्वपितृ अमावस्या पर विशेष तर्पण के आयोजन हो रहे हैं। भादौ माह की पूर्णिमा से शुरू हुए सोलह श्राद्ध का समापन आज पितृ मोक्ष अमावस्या को हो रहा है। जिन लोगों को अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि याद नहीं है, वे भी सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण करते हैं। इसके अलावा जो नियमित 16 दिन श्राद्ध पक्ष में तर्पण करते हैं, उनके द्वारा भी आज तर्पण का समापन किया जा रहा है।  राजधानी के आचार्यों के अनुसार, पितरों के मोक्ष की कामना से जौ, काला तिल, कुश आदि से मंत्रोच्चार के साथ श्राद्ध कर्म करना चाहिए। इसी तरह पूर्वजों के निमित्त तर्पण का सही तरीका या विधि भी पता होना चाहिए और उसी के मुताबिक तर्पण कर्म करना चाहिए। पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण करने का विधान है। अमावस्या पर सभी भूले-बिसरे, ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों को याद कर उनका तर्पण करें। सबसे पहले देवताओं के लिए तर्पण करते हैं। इसके बाद ऋषियों के लिए तर्पण किया जाता है और अंत में पितरों की खातिर तर्पण करने की परंपरा है। सबसे पहले पूर्व दिशा में मुख करें और हाथ में कुश व अक्षत लेकर जल से देवताओं के लिए तर्पण करें। इसके उपरांत जौ और कुश लेकर उत्तर दिशा में मुख करते हुए ऋषियों के लिए तर्पण करें। आखिर में आप दक्षिण दिशा में मुख कर लें और काले तिल व कुश से पितरों का तर्पण करें। तर्पण करने के बाद पितरों से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें, ताकि वे संतुष्ट हों और आपको आशीर्वाद दें।

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