सीहोर। राम से अधिक राम के दास की उक्ति चरितार्थ होती है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम स्वयं कहते हैं, जब लोक पर कोई विपत्ति आती है तब वह प्राण पाने के लिए मेरी अभ्यर्थना करता है, परंतु जब मुझ पर कोई संकट आता है तब मैं उसके निवारण के लिए पवनपुत्र हनुमान का स्मरण करता हूं। सत्य की हमेशा विजय होती है। भगवान श्री राम ने सत्य को स्थापित करने के लिए रावण का वध किया। भगवान श्रीराम की कथा हमारे चरित्र चिंतन को और बदलने वाली है, यदि हम अपने जीवन में कुछ बदलाव नहीं ला पाए तो श्रीराम कथा सुनने का और सुनाने का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है। श्रीराम कथा के माध्यम से व्यक्ति को अपनी बुरी आदतों को बदलने का प्रयास करना चाहिए। हमारी धार्मिक पहचान हम लोग थोड़े से लोभ में पड़कर बदल देते हैं। उक्त विचार शहर के चाणक्युपरी में जारी नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के अंतिम दिन 108 श्री उद्धव दास महाराज ने कहे।
उन्होंने कहा कि सत्संग का श्रवण, माता-पिता की सेवा, गुरुजन का सम्मान, गोमाता का वास तथा ईश्वर का स्मरण जिस घर-परिवार में हो, वह स्वर्ग के समान है। श्रीराम कथा मनुष्य मन को मयार्दा व पुण्य के प्रेम को सिखाती है। भगवान श्रीराम की कथा भक्त को भगवान से जोड़ने की कथा है। यह कथा मानव जीवन का सार अंश है। परमानंद तत्व की प्राप्ति का श्रेय श्रीराम कथा है। पुत्र ऐसा हो, जो माता-पिता, समाज व देश की सेवा करें। भगवान की कथा हमें बताती हैं कि संकट में भी सत्य से विमुख न हो व अपने वचन का पालन करें। राम नाम तो कण-कण में व्याप्त है। बिना सत्संग के मानव का जीवन अधूरा है, जो भक्त श्रीराम कथा का श्रवण करेगा, उसका जीवन सफल हो जाएगा। परमात्मा की निकटता पाने के लिए हमारे भीतर सत्य, प्रेम व करूणा का भाव होना जरूरी है। राम नाम का सहारा लो। इन तीनों का आपके जीवन में जरूर प्रवेश होगा। राम परम तत्व हैं। राम से ही कई विष्णु प्रकट होते हैं। उन्होंने कहा कि छूआछूत व भेदभाव कभी मत करना। सभी मनुष्य समान हैं। राम भीलनी शबरी के घर गए और अहिल्या को भी तारा। युवाओं को सीख दी कि वे बुजुर्गों का सम्मान करें। उनसे उनके अनुभवों का लाभ लें। भारतीय संस्कृति व संस्कारों को भी अपनाएं। सत्य को अपना स्वभाव बना लें। दूसरों को सुधारने की अपेक्षा स्वयं सुधरने का प्रयास करें।
भजनों की धुन पर नाचे श्रद्धालु-
कथा के अंतिम दिन 108 श्री उद्धव दास महाराज ने हनुमान की लीलाओं का वर्णन सुंदरकांड के माध्यम से सुनाया। उन्होंने बताया कि सुंदरकांड हनुमान की भक्ति का सबसे बेहतर रास्ता है। इस दौरान भजनों की प्रस्तुति भी दी गर्इं, जिसमें उपस्थित श्रोताओं ने खूब डांस किया।
भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक व रावण वध की कथा का वाचन हुआ-
अंतिम दिन कथा में भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक व रावण वध की कथा का वाचन हुआ। मनुष्य अपने भीतर के अहंकार, द्वेष, छल, कपट, ईष्यां, मोह, माया रूपी रावण का वध करें, तभी कथा का श्रवण सार्थक है। इस संबंध में जानकारी देते हुए श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी आनंद अग्रवाल ने बताया कि नौ दिवसीय श्रीराम कथा के अंतिम दिन महा आरती के पश्चात रात्रि बारह बजे प्रसादी का वितरण किया गया। इसके अलावा समिति के अध्यक्ष आनर सिंह चौहान, कार्यक्रम समिति के अध्यक्ष अमित नीखरा आदि सहित समाजसेवी अरुणा सुदेश राय, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष नरेश मेवाड़ा, मनोज दीक्षित मामा, स्वामी विवेकानंद साहित्य एवं कला मंच द्वारा महाराज श्री तथा सभी संगीतज्ञओं का स्मृति चिन्ह भेंट कर तथा माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।