16 दिसंबर से खरमास प्रारंभ, लग जाएगा विवाह एवं शुभ कार्यों पर विराम
हिन्दू धर्म में देवप्रबोधिनी (देवउठनी) एकादशी के साथ ही विवाह इत्यादि मांगलिक कार्यों का होना प्रारंभ हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाह लग्न की शुद्धि में शुभ-मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। शास्त्रानुसार देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक चार माह विवाह का निषेध होता है, किंतु केवल इन चार महीनों में ही विवाह का निषेध नहीं होता। अपितु गुरु-शुक्रास्त, खरमास, होलिकाष्टक एवं पौष मास की अवधि में भी विवाह वर्जित होता है।
इस वर्ष देवप्रबोधिनी एकादशी दिनांक 23 नवंबर 2023 को मनाई गई थी। बालाजी ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र सीहोर के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने बताया कि देवउठनी एकादशी से विवाह होना प्रारंभ हो गए, किंतु 16 दिसंबर 2023 से धनु संक्रांति (मलमास/खरमास) होने के कारण पुनः विवाह मुहूर्त का निषेध रहेगा, क्योंकि दिनांक 16 दिसंबर 2023, दिन शनिवार से मलमास/खरमास का प्रारंभ हो जाएगा जो 14 जनवरी 2024 तक रहेगा। इस अवधि के अतिरिक्त दिनांक 27 दिसंबर से 2023, दिन बुधवार से पौष मास का प्रारंभ होगा जो दिनांक 25 जनवरी 2024 तक रहेगा। पौष मास में भी विवाह मुहूर्त का निषेध होता है।
अतः देवप्रबोधिनी एकादशी से 16 दिसंबर 2023 तक ही विवाह मुहूर्त बनेंगे तत्पश्चात मलमास एवं खरमास की अवधि बीत जाने के उपरांत दिनांक 25 जनवरी 2024 के बाद ही शुभ विवाह मुहूर्त बनेंगे। अतः ज्योतिष शास्त्रानुसार 16 दिसंबर 2023 से 25 जनवरी 2024 की अवधि में विवाह मुहूर्त वर्जित रहेंगे।
खरमास में दूर रखें ये चीजें नहीं तो लक्ष्मीजी रूठ जाएंगी-
पंडित सौरभ गणेश शर्मा के अनुसार खरमास में 16 दिसंबर 2023 शनिवार को सूर्य का धनु राशि में गोचर होगा, तभी से खरमास यानी मलमास प्रारंभ हो जाएगा। खरमास में किसी भी तरह का कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मकान निर्माण, नया व्यापार या किसी भी तरह का कोई भी संस्कार नहीं करते हैं। इसी के साथ ही कई तरह के नियमों का पालन करते हैं, जिसमें तुलसी के नियम भी होते हैं। खरमास में श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है। तुलसी को माता लक्ष्मी का ही रूप माना जाता है। जब तक तुलसी की पूजा नहीं होती, तब तक श्री हरि विष्णु की पूजा पूरी नहीं मानी जा सकती है। मंगलवार, रविवार और एकादशी को छोड़कर कभी भी तुलसी को जल अर्पित कर सकते हैं, लेकिन खरमास के दौरान तुलसी पूजा में भूलकर भी ये गलती न करें।
धनु संक्रांति पर भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की षोडश पूजा करें। इसी के साथ ही तुलसी पूजा भी करते हैं। तुलसी माता को जल अर्पण करें और उनकी पूजा करें। मंगलवार, रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे को भूलकर भी नहीं छूएं और न ही जल अर्पण करें अन्यथा माता लक्ष्मी रुष्ठ हो जाएगा। लेकिन, खरमास के दिनों में भूलकर भी तुलसी के ऊपर सिंदूर या कोई पूजन सामग्री न चढ़ाएं। इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसी के साथ ही दूर्वा भी न चढ़ाएं अन्यथा माता लक्ष्मी रूष्ठ होकर आपके घर से चली जाएंगी। खरमास में तुलसी को जल दान, दीपदान और धूपदान दे सकते हैं। बाकी अन्य किसी भी प्रकार की पूजा नहीं कर सकते हैं।
पंडित सौरभ गणेश शर्मा
ज्योतिषाचार्य, बालाजी ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र शास्त्री कॉलोनी स्टेशन रोड सीहोर
संपर्क 9229112381