धर्म

उद्यम में है लक्ष्मी का वास 

काम का ढेर देखकर कभी घबराना नहीं। मनुष्य काम करने के लिए ही जन्मा है। वह नहीं चाहेगा तो भी उसे काम करना ही पड़ेगा। जो कर्तव्य-कर्म करने में उत्साही है वही दूसरों के लिए उपयोगी होने का सुख भोग सकता है। उद्यम में लक्ष्मी का वास है और आलस्य में अलक्ष्मी का। उद्यमी को देखकर कमनसीबी डरके भाग जाती है। उद्यम करने पर भी कभी ध्येय सिद्ध न हो तो भी उदास न हों क्योंकि पुरुषार्थ अथवा प्रयत्न स्वयं ही एक बड़ी सिद्धि है। दु:ख से कभी डरें नहीं बल्कि उसे देखकर उसके सामने हँसें। आपको हँसते देखकर दु:ख स्वयं ही डरके भाग जाएगा। मानव को दु:ख का शिकार नहीं होना चाहिए न ही सुख में फूलना चाहिए।  
सुख सपना दु:ख बुलबुला दोनों हैं मेहमान।  
दोनों बीतन दीजिए जो भेजें भगवान?  
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button