धर्म

मन की शक्ति

मन को जीवन का केंद्रबिंदु कहना असंभव नहीं है। मनुष्य की क्रियाओं, आचरणों का प्रारंभ मन से ही होता है। मन तरह-तरह के संकल्प, कल्पनाएं करता है। जिस ओर उसका रुझान हो जाता है उसी ओर मनुष्य की सारी गतिविधियां चल पड़ती है। जैसी कल्पना हो उसी के अनुरूप प्रयास-पुरुषार्थ एवं उसी के अनुसार फल सामने आने लगते हैं। मन जिधर रस लेने लगे उसमें लौकिक लाभ या हानि का बहुत महत्व नहीं रह जाता। प्रिय लगने वाले के लिए सब कुछ खो देने और बड़े से बड़े कष्ट सहने को भी मनुष्य सहज ही तैयार हो जाता है। मन यदि अच्छी दिशा में मुड़ जाए; आत्मसुधार, आत्मनिर्माण और आत्मविकास में रुचि लेने लगे तो जीवन में एक चमत्कार हो सकता है। सामान्य श्रेणी का मनुष्य भी महापुरुषों की श्रेणी में आसानी से पहुंच सकता है। सारी कठिनाई मन को अनुपयुक्त दिशा से उपयुक्त दिशा में मोड़ने की ही है। इस समस्या के हल होने पर मनुष्य सच्चे अर्थ में मनुष्य बनता हुआ देवत्व के लक्ष्य तक सुविधापूर्वक पहुंच सकता है।  
शरीर के प्रति कर्तव्य पालन करने की तरह मन के प्रति भी हमें अपने उत्तरदायित्वों को पूर्ण करना चाहिए। कुविचारों और दुर्भावनाओं से मन गंदा, मलिन और पतित होता है, अपनी सभी विशेषता और श्रेष्ठताओं को खो देता है। इस स्थिति से सतर्क रहने और बचने की आवश्यकता का अनुभव करना हमारा पवित्र कर्तव्य है। मन को सही दिशा देते रहने के लिए स्वाध्याय की वैसी ही आवश्यकता है जैसे शरीर को भोजन देने की। आत्मनिर्माण करने वाली जीवन की समस्याओं को सही ढंग से सुलझाने वाली उत्कृष्ट विचारधारा की पुस्तकें पूरे ध्यान, मनन और चिंतन के साथ पढ़ते रहना ही स्वाध्याय है। यदि सुलझे हुए विचारों के जीवन विद्या के ज्ञाता कोई संभ्रांत सज्जन उपलब्ध हो सकते हों तो उनका सत्संग भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है। मन का स्वभाव बालक जैसा होता है, उमंग से भरकर वह कुछ न कुछ करना-बोलना चाहता है। यदि दिशा न दी जाए तो उसकी क्रियाशीलता तोड़-फोड़ एवं गाली-गलौज के रूप में भी सामने आ सकती है। मन में जब सद्विचार भरे रहेंगे तो कुविचार भी कोई दूसरा रास्ता टटोलेंगे। रोटी और पानी जिस प्रकार शरीर की सुरक्षा और परिपुष्टि के लिए आवश्यक हैं उसी प्रकार आत्मिक स्थिरता और प्रगति के लिए सद्विचारों, सद्भावों की प्रचुर मात्रा उपलब्ध होनी ही चाहिए। युग निर्माण के लिए, आत्म निर्माण के लिए वह प्रधान साधन है। संकल्प की, मन की शुद्धि के लिए इसे ही दवा माना गया है।  

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button