धर्म

पुण्य प्रद अधिकमास 18 जुलाई से प्रारंभ, जानिए क्या करना चाहिए…

नाम से ही स्पष्ट है जब हिन्दी कैलेण्डर में पंचांग की गणनानुसार 1 मास अधिक होता है, तब उसे अधिकमास कहा जाता है। हिन्दू शास्त्रों में अधिकमास को बड़ा ही पवित्र माना गया है, इसलिए अधिकमास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। पुरुषोत्तम मास अर्थात् भगवान पुरुषोत्तम का मास। शास्त्रों के अनुसार अधिकमास में व्रत पारायण करना, पवित्र नदियों में स्नान करना एवं तीर्थ स्थानों की यात्रा का बहुत पुण्यप्रद होती है।
बाला जी ज्योतिष अनुसंधान केंद्र सीहोर के ज्योतिषचार्य पं सौरभ गणेश शर्मा के अनुसार अधिकमास कब व कैसे होता है। पंचांग गणना के अनुसार एक सौर वर्ष में 365 दिन, 15 घटी, 31 पल व 30 विपल होते हैं, जबकि चन्द्र वर्ष में 354 दिन, 22 घटी, 1 पल व 23 विपल होते हैं। सूर्य व चन्द्र दोनों वर्षों में 10 दिन, 53 घटी, 30 पल एवं 7 विपल का अंतर प्रत्येक वर्ष में रहता है। इसी अंतर को समायोजित करने हेतु अधिकमास की व्यवस्था होती है।
अधिकमास प्रत्येक तीसरे वर्ष होता है। अधिकमास फ़ाल्गुन से कार्तिक मास के मध्य होता है। जिस वर्ष अधिकमास होता है उस वर्ष में 12 के स्थान पर 13 महीने होते हैं। अधिकमास के माह का निर्णय सूर्य संक्रांति के आधार पर किया जाता है। जिस माह सूर्य संक्रांति नहीं होती वह मास अधिकमास कहलाता है।
पं शर्मा ने बताया कि इस वर्ष 2023 में अधिकमास 18 जुलाई श्रावण (प्रथम) शुक्ल प्रतिपदा दिन मंगलवार से 16 अगस्त श्रावण कृष्ण (द्वितीय) अमावस दिन बुधवार के मध्य रहेगा। इस वर्ष श्रावण मास की अधिकता रहेगी अर्थात् इस वर्ष दो श्रावण मास होंगे। अधिकमास की मान्यता 18 जुलाई 2023 से 16 अगस्त तक रहेगी।

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