धर्म

रंगपंचमी 2023 : 2 शुभ संयोग और 3 बड़ी परंपराएं

रंग पंचमी का पर्व होली के बाद चैत्र माह की कृष्ण पंचमी तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार रंग पंचमी का त्योहार 12 मार्च रविवार को रहेगा।
इस दिन दिन शोभा यात्राएं निकाली जाती है और होली की तरह देव होली के दिन भी लोग एक दूसरे पर रंग और अबीर डालते हैं। आओ जानते इस दिन के 2 शुभ योग और 3 बड़ी परंपराएं।
पंचमी तिथि : पंचमी तिथि की शुरुआत 11 मार्च 2023 की रात 10 बजकर 08 मिनट पर होगी और 12 मार्च, 2023 को 10 बजकर 04 मिनट पर इसका समापन होगा। इसी कारण, उदया तिथि के अनुसार रंगपंचमी का त्योहार 12 मार्च 2023 रविवार को मनाया जाएगा।

शुभ मुहूर्त और योग :

– अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:13 से 01:00 तक।

– सर्वार्थसिद्धि योग सुबह तक।

– सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग रहेगा।

 
1. पूजा : इस दिन सभी देवता, कामदेव, शिवजी, नागदेव, श्रीकृष्ण और राधा जी की पूजा होती है। कहते हैं कि रंग पंचमी के दिन देवी देवताओं की पूजा करने और रंग का उत्सव मनाने से लोगों के बुरे कर्म और पाप आदि नष्ट हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आ जाते हैं और वह मनुष्य के साथ गुलाल खेलते हैं। यह भी कहते हैं कि यह सात्विक पूजा आराधना का दिन होता है। रंगपंचमी को धनदायक भी माना जाता है।

2. रंग उत्सव : रंग पंचमी के दिन प्रत्येक व्यक्ति रंगों से सराबोर हो जाता है। रंग पंचमी के दिन भी रंगों इस्तेमाल करके एक-दूसरे को रंग व गुलाल लगाया जाता है, रंगों को हवा में उड़ाया जाता है, इस समय देवता भी विभिन्न रंगों की ओर आकर्षित होते हैं। लगभग पूरे मालवा प्रदेश में होली और रंग पंचमी पर जलूस निकालने की परंपरा है, जिसे गेर कहते हैं। जलूस में बैंड-बाजे-नाच-गाने सब शामिल होते हैं।

3. नृत्य और गान : महाराष्ट्र, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश में इसे श्री पंचमी के रूप में पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। इस राधा-कृष्ण को रंग, गुलाल चढ़ा कर ढोल और नगाड़े के साथ नृत्य, संगीत और गीतों का आनंद लिया जाता है। आदिवासी क्षेत्र में विशेष नृत्य, गान और उत्सव मनाया जाता है।

4. ठंडाई : इस दिन लोग भांग नहीं तो ठंडाई का सेवन करते हैं। आदिवासी क्षेत्रों में ताड़ी पीते हैं।

5. पकवान : इस दिन अलग अलग राज्यों में अलग अलग पकवान बनाए जाते हैं। जैसे महाराष्ट्र में पूरणपोली बनाई जाती है। शाम को स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गिल्की के पकोड़े का मजा लिया जाता है। इस दिन रंग खेलने के बाद शाम को स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गिल्की के पकोड़े का मजा लिया जाता है। पकवान में पूरणपोली, दही बड़ा, गुजिया, रबड़ी खीर, बेसन की सेंव, आलू पुरी, खीर आदि व्यंजन बनाए जाते हैं। इस अवसर पर अनेक मिठाइयां बनाई जाती हैं जिनमें गुझियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Cum să pregătești o soluție eficientă Cele 10 plante de interior care pot