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28 फरवरी से होगी शिव महापुराण कथा, 7 दिनों में 11 लाख अभिमंत्रित रूद्राक्षों का किया जाएगा वितरण

चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में पंडित प्रदीप मिश्रा करेंगे कथा

सीहोर। महाशिवरात्रि के अवसर पर 28 फरवरी से 6 मार्च तक श्री शिव महापुराण का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा 7 दिनों में 11 लाख अभिमंत्रित रूद्राक्षों का वितरण भी होगा। कथा का आयोजन पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में किया जाएगा। इस दौरान यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रहने एवं भोजन की व्यवस्था भी की जाएगी। यह आयोजन विठलेश सेवा समिति के तत्वावधान में किया जाएगा।
आयोजन को लेकर पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि 28 फरवरी से 6 मार्च तक प्रतिदिन दोपहर एक से 4 बजे तक शिव महापुराण कथा होगी और प्रतिदिन सुबह 7 से 9 बजे तक अभिषेक किया जाएगा। इस दौरान प्रतिदिन शाम को मुंबई एवं अन्य राज्यों के कलाकारों द्वारा यहां पर संगीतमय प्रस्तुतियां दी जाएंगी। उन्होंने बताया कि आयोजन का लगातार दूसरा वर्ष है। गत वर्ष भी शिव महापुराण एवं रूद्राक्ष वितरण का आयोजन किया गया था। आयोजन में कोरोना गाइड लाइन का पालन किया जाएगा। इसके लिए 22 हजार से अधिक मॉस्क भी खरीदें गए हैं एवं सैनेटाइजर की भी व्यवस्था की गई है।
देश-विदेश के आएंगे अतिथि-
पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि आयोजन में शामिल होने के लिए देश-विदेशों से अतिथि आएंगे। इसके अलावा साधु-संत एवं महामंडलेश्वरों को भी कथा का आमंत्रण भेजा गया है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रहने एवं खाने की नि:शुल्क व्यवस्था रहेगी। उन्होंने बताया कि कथा के आयोजन के लिए दिन-रात तैयारियां चल रही हैं, ताकि यहां आने वाले भक्तों को कोई परेशानियां न आए।
भगवान शिव के आंसुओं से हुई रूद्राक्ष की उत्पत्ति-
रूद्राक्ष को लेकर पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई। एक मुखी से लेकर 14 मुखी रूद्राक्ष के बारे में शिव महापुराण में वर्णन है। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में रूद्राक्ष का बहुत महत्व है। रूद्राक्ष मतलब रूद्र का अक्ष यानी आंसू कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। रूद्राक्ष इंसान को हर तरह की हानिकारक ऊर्जा से बचाता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ तपस्वियों के लिए ही नहीं, बल्कि सांसारिक जीवन में रह रहे लोगों के लिए भी किया जाता है। रूद्राक्ष के ऐसे तो कई फायदे हैं, लेकिन रूद्राक्ष को लेकर यह भी धारणा है कि मंत्र जाप और ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए रूद्राक्ष को सबसे उत्तम बताया गया है। बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि रूद्राक्ष को धारण कर हम शनि दोष को दूर कर सकते हैं। रूद्राक्ष के कुछ खास उपाय से कुंडली में मौजूद शनि के अशुभ योग भी खत्म हो जाते हैं। रूद्राक्ष में वो शक्ति है जो अपने धारक को हर तरह की परेशानी से लड़ने की क्षमता देता है और उनको दूर करता है।
आयोजन की तैयारियां जोरों पर-
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि आगामी 28 फरवरी से होने वाले भव्य रूद्राक्ष महोत्सव का लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। महोत्सव के लिए व्यास गादी, विशाल डोम, पंडाल सहित आकर्षक साज-सज्जा की जा रही है। यहां पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं के रहने की व्यवस्था भी नि:शुल्क की जाएगी।

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