धर्म

भगवान विष्णु की कृपा पाने का माह वैशाख मास प्रारम्भ

वैशाख माह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का दूसरा माह होता है। इस महीने गंगा उपासना, वरुथिनी एकादशी, मोहिनी एकादशी, अक्षय तृतीया, वैशाख पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण त्योहार और व्रत आदि मनाए जाते हैं। स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषचार्य डॉ पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि इस माह में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी माह से त्रेतायुग का आरंभ हुआ था। इसी वजह से इसका धार्मिक महत्व बढ़ जाता है। इस माह को माधव नाम से भी जाना जाता है। माधव विष्णु का एक नाम है। इस माह में विष्णु भगवान की पूजा का खासा महत्व है।
दान : इस माह में दान का महत्व बढ़ जाता है। कहते हैं कि यदि आपने पूरे वर्ष कोई भी दान नहीं किया है तो इस माह में करके पूरे वर्ष किए दान का फल प्राप्त कर सकते हैं।
स्नान : इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें।
पूजा : इस माह को माधव नाम से भी जाना जाता है। माधव विष्णु का एक नाम है। इस माह में विष्णु भगवान की पूजा का खासा महत्व है। वैशाख मास में भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दौरान भगवान विष्णु की तुलसीपत्र से माधव रूप की पूजा की जाती है। स्कन्द पुराण के वैष्णव खण्ड अनुसार माधवमास, यानि वैशाख मास के समान कोई मास नहीं है, सतयुग के समान कोई युग नहीं है, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। इस माह के दौरान ॐ माधवाय नमः मंत्र का नित्य ही कम से कम 11 बार जप करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु के केशव, हरि, गोविंद, त्रिविकरम, पद्मानाभ, मधुसूदन, अच्युत और हृषिकेष नाम का भी ध्यान करें। उन्होंने पंचामृत का भोग लगाएं और उस पंचामृत में तुलसी पत्र डालना न भूलें। साथ ही उन्हें सफेद या पीले फूल अर्पित करने चाहिए। इससे आपके करियर में, नौकरी में, व्यापार में तरक्की होगी। इससे जीवन में कभी कोई संकट नहीं आएगा और दांपत्य जीवन भी सुखमयी व्यतीत होगा।
श्राद्ध : इस माह में अमावस्या और पूर्णिमा पर पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करने से पितृदोष समाप्त होता है और उनका आशीर्वाद मिलता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
ग्रह दोष से मुक्ति : इस माह में काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी अमावस्या तिथि पर ज्योतिषीय उपाय किए जाते हैं। अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाना चाहिए और संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए।
शनि दोष से मुक्ति : शनि से मुक्ति दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है। वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव तिल, तेल और पुष्प आदि चढ़ाकर पूजन करनी चाहिए।
सभी तरह के संकटों से मुक्ति के लिए : वैशाख कथा का श्रवण करें और गीता का पाठ करें।
वैशाख माह में ये न करें –
– वैशाख माह में भूमि पर ही शयन करना चाहिए और एक समय ही भोजन करना चाहिए। इससे सभी तरह के रोग और शोक मिट जाते हैं।
– वैशाख माह में नया तेल लगाना मना है। तेल न लगाएंगे तो चलेगा।
– इस माह में तेल व तली-भुनी चीजों से परहेज करना चाहिए। बेल खा सकते हैं।
– वैशाख मास में तेल लगाना, दिन में सोना, कांस्य के पात्र में भोजन करना, खाट पर सोना, घर में नहाना, निषिद्ध पदार्थ खाना, दो बार भोजन करना तथा रात में खाना- यह बातें त्याग देना चाहिए।

डॉ पंडित गणेश शर्मा स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषचार्य 9229112381

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