धर्म

मन में होना चाहिए सेवा का भाव

एक समय की बात है, कागावा नामक एक युवक जापान में रहता था। उसने अपनी पढ़ाई समाप्त करने के पश्चात जरूरतमंद जापानी लोगों व वहां के दीन-दुखियों की सेवा करने लगा।

सेवा करते-करते उसे अपने कार्यों में इतना आनंद आने लगा कि उसने अन्य लोगों को भी इस सेवा कार्य में जुड़ने के लिए प्रेरित किया और बहुत थोड़े समय में ही उसने अपने साथ सेवा करने वालों की सेना तैयार कर ली।

सेवा में अपना जीवन समॢपत करते हुए स्वयं को कोई आॢथक समस्या न हो इसलिए वह पार्ट टाइम किसी कम्पनी में काम भी करता था। धीरे-धीरे उसके सेवा कार्यों की जगह-जगह चर्चा होने लगी। सेवा कार्यों के कारण वह अनेक लोगों के सम्पर्क में आया। उसके कार्यों से प्रभावित होकर एक सुन्दर युवती ने उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। विवाह की स्वीकृति इस संकल्प के साथ हुई कि सांसारिकता में न उलझ कर सेवा के कार्यों को दोनों मिलकर निरंतर आगे बढ़ाएंगे।

1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

युवती ने भी किसी कम्पनी में पार्ट टाइम काम तलाश कर लिया, ताकि वह समाज पर बोझ न बने और प्रसन्न मन से सबकी सेवा कर सके। दोनों के समन्वित प्रयास ने रंग दिखाया और सेवा क्षेत्र में निरंतर वृद्धि होती रही। उदार लोग उनके काम में सहयोग करने लगे। सरकार ने भी पूरे जापान में पिछड़ों की सेवा के लिए उनकी संस्था का चयन किया।

धीरे-धीरे कागावा के प्रति जापानी लोगों में बहुत अधिक श्रद्धा एवं प्रेम बढ़ा, लोगों ने उनके सेवा कार्य से जुड़कर जापान में एक नई क्रांति का निर्माण किया। जापान में कागावा को लोग दूसरा गांधी मानने लगे। कागावा ने सेवा के क्षेत्र में जापान में एक अनूठी मिसाल कायम की।
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button