परमात्मा को पाने वाली सीढ़ी का नाम है सत्य: पंडित प्रदीप मिश्रा

सात दिवसीय शिव महापुराण का आस्था और उत्साह के साथ हुआ समापन, आगामी दिनों में किया जाएगा अभिमंत्रित रुद्राक्षों का वितरण

सीहोर। जिला मुख्यालय के नजदीकी चितावलिया हेमा में मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में चल रही सात दिवसीय भव्य शिव महापुराण कथा का समापन आस्था और उत्साह के साथ किया गया। कथा के अंतिम दिन सात से अधिक पंडालों में श्रद्धालुओं ने कथा का सुना। इसके पश्चात प्रशासन और समिति के सहयोग से श्रद्धालुओं को आसानी से बाहर जाने की व्यवस्था भी की गई। मंदिर में देर रात्रि तक श्रद्धालुओं के जाने का सिलसिला रहा। सात दिवसीय इस शिव महापुराण कथा को सुनने तथा रुद्राक्ष के शिवलिंग के दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु आश्रम पहुंचे।
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि आगामी दिनों में मंदिर परिसर से ही अभिमंत्रित रुद्राक्षों का वितरण किया जाएगा। इसके लिए एक काउंटर की व्यवस्था की जाएगी और आठ माह तक यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को इसका वितरण किया जाएगा। पूर्व में निर्णय लिया गया था कि ऑनलाइन इसका वितरण किया जाए, लेकिन श्रद्धालुओं को मिले इसके लिए मंदिर परिसर में ही व्यवस्था की जाएगी। कथा के दौरान कथावाचक पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि जीवन में जितना अधिक सत्य होगा, हम उतने ही परमात्मा के अधिक निकट होंगे। सत्य परमात्मा को पाने की सीढ़ी है। संसार के पीछे भागने से अच्छा है परमात्मा के पीछे दौड़िए। उसके मिलते ही दुनिया आपके पीछे दौड़ेगी। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर के मंदिर में पट नहीं रहता है, शंकर के हृदय में कपट नहीं रहता है और शिव भक्त में खटपट नहीं रहती है। हमारा मन जितना निर्मल होता जाएगा उतना भक्त शिव के निकट होता जाएगा। इसके लिए सत्य का मार्ग जरूरी है।
श्रद्धालुओं ने खेली फूलों की होली-
शिव महापुराण के सात दिवसीय आयोजन के दौरान लगातार चलने वाले रात्रिकालीन नाटिका उत्सव में उत्तराखंड एवं दिल्ली आदि से आए कलाकारों के साथ श्रद्धालुओं ने फूलों से होली खेली। इस क्रम में लगातार कलाकारों ने सती चरित्र के अलावा अन्य प्रसंगों का सुंदर मंचन किया।
संत और संगठन का बताया महत्व-
शिव महापुराण के अंतिम दिन पंडित प्रदीप मिश्रा ने संत और संगठन का महत्व बताते हुए कहा कि संत के प्रवचन समाज को जगाता है संगठन शक्ति। मनुष्य के जीवन में संगठन का बड़ा महत्व है। अकेला मनुष्य शक्तिहीन है, जबकि संगठित होने पर उसमें शक्ति आ जाती है। संगठन की शक्ति से मनुष्य बड़े-बड़े कार्य भी आसानी से कर सकता है। संगठन में ही मनुष्य की सभी समस्याओं का हल है। जो परिवार और समाज संगठित होता है वहां हमेशा खुशियां और शांति बनी रहती है और ऐसा देश तरक्की के नित नए सोपान तय करता है।

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