धर्म

क्या है जीवन का सार

दुख एक मानसिक कल्पना है। कोई पदार्थ, व्यक्ति या क्रिया दुख नहीं है। संसार के सब नाम-रूप गधा-हाथी, स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी, वृक्ष-लता आदि खिलौने हैं। हम अपने को खिलौना मानेंगे तो गधा या हाथी होने का सुख-दुख होगा, अपने को स्वर्ण, मूल्यधातु देखेंगे तो यह मनुष्य देह नहीं रहेंगे। हम विराट् हैं, साक्षात् ब्रह्म है। जो मनुष्य इस जगत प्रपंच को सत्य देखता है, उसे माया ने ठग लिया है। जो पहले भी नहीं थे, आगे भी नहीं रहेंगे, बीच में थोड़ी देर को दिखाई दे रहे हैं, उन्हीं को सब कुछ समझ कर माया मोहित मनुष्य व्यवहार कर रहा है। तत्वज्ञान शिक्षा देता है कि जो कुछ दिखाई दे, उसे दिखाई देने दो, जो बदलता है, उसे बदलने दो, जो आता-जाता है, उसे आने जाने दो। यह सब जादू का खेल है।   
ये हि संस्पर्शजा भोगा दु:खयोनय एव ते। आद्यन्तवन्त: कौन्तेय न तेषु रमते बुध:।  
पुराणों में एक कथा आती है- महाराज जनक के जीवन में कोई भूल हो गई थी। मरने पर उन्हें यमलोक जाना पड़ा। वहां उससे कहा गया- नरक चलो। महाराज जनक तो ब्रह्मज्ञानी थे। उन्हें क्या स्वर्ग, क्या नरक। वे प्रसन्नतापूर्वक चले गए। नरक में पहुंचे तो चारों ओर से पुकार आने लगी- 'महाराज जनक जी! तनिक यहीं ठहर जाइए।'   
महाराज जनक ने पूछा- 'यह कैसा शब्द है?'   
यमदूतों ने कहा-'नरक के प्राणी चिल्ला रहे हैं।'   
जनक ने पूछा-'क्या कह रहे हैं ये?'   
यमदूत बाले-'ये आपको रोकना चाहते हैं।'   
जनक ने आश्चर्य से पूछा-'ये मुझे यहां क्यों रोकना चाहते हैं?'   
यमदूत बोले- 'ये पापी प्राणी अपने-अपने पापों के अनुसार यहां दारुण यातना भोग रहे हैं। इन्हें बहुत पीड़ा थी। अब आपके शरीर को स्पर्श करके पुण्य वायु इन तक पहुंची तो इनकी पीड़ा दूर हो गई। इन्हें इससे बड़ी शांति मिली।'   
जनक जी बोले-'हमारे यहां रहने से इन सबको शांति मिलती है, इनका कष्ट घटता है तो हम यहीं रहेंगे।'  
तात्पर्य यह है कि भला मनुष्य नरक में पहुंचेगा तो नरक भी स्वर्ग हो जाएगा और बुरा मनुष्य स्वर्ग में पहुंच जाए तो स्वर्ग को भी नरक बना डालेगा। अत: देखना चाहिए कि हम अपने चित्त में नरक भरकर चलते हैं या स्वर्ग लेकर। जब हमें लगता है कि समस्त विश्व मेरी आत्मा में है, तब रोग-द्वेष, संघर्ष-हिंसा के लिए स्थान कहां रह जाता है?  
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button