धर्म

शीतला सप्तमी-अष्टमी 2023 कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, उपाय और मंत्र

इस वर्ष जहां 12 मार्च को रंगपंचमी है, वहीं उसके बाद आने वाली चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी-अष्टमी तिथि पर शीतला माता का खास पर्व शीतला सप्तमी-अष्‍टमी मनाया जाएगा। यह दिन पुत्रवती माताओं के लिए बहुत खास हैं, क्योंकि महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए यह व्रत करती है।

मान्यता के अनुसार शीतला माता देवी भगवती दुर्गा का ही एक रूप है। अत: इनका पूजन करते हुए इस दिन माताएं ठंडा या बासी खाने का भोग लगाकर खुद भी यह ग्रहण करती है। शीतला सप्तमी तथा अष्टमी के एक दिन पूर्व ही कई प्रकार के पकवान माता शीतला को भोग लगाने के लिए तैयार करके अष्टमी के दिन उन्हें इन्हीं बासी पकवान को नैवेद्य के रूप में देवी शीतला माता को समर्पित किए जाते हैं।

आइए जानते हैं मुहूर्त, पूजा की विधि, उपाय तथा मंत्र के बारे में-

शीतला सप्तमी-अष्टमी 2023 के शुभ मुहूर्त- shitala mata puja shubh muhurt

शीतला सप्तमी पूजा का समय एवं शुभ मुहूर्त-

शीतला सप्तमी 14 मार्च 2023, मंगलवार को

शीतला सप्तमी तिथि का प्रारंभ- 13 मार्च 2023 को 09.27 पी एम से

सप्तमी तिथि का समापन- 14 मार्च 2023 को 08.22 पी एम पर।

शीतला सप्तमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त- 06.33 ए एम से 06.29 पी एम तक

कुल अवधि- 11 घंटे 56 मिनट्स

मार्च 14, 2023, मंगलवार : दिन का चौघड़िया

चर- 09.32 ए एम से 11.01 ए एम

लाभ- 11.01 ए एम से 12.31 पी एम

अमृत- 12.31 पी एम से 02.00 पी एम

शुभ- 03.30 पी एम से 04.59 पी एम

रात का चौघड़िया :

लाभ- 07.59 पी एम से 09.29 पी एम

शुभ- 11.00 पी एम से 15 मार्च को 12.30 ए एम तक।

अमृत- 12.30 ए एम से 15 मार्च को 02.00 ए एम तक।

चर- 02.00 ए एम से 15 मार्च को 03.31 ए एम तक।

शीतला अष्टमी 15 मार्च 2023,‍ दिन बुधवार : Sheetala Ashtami 2023 Kab hai

शीतला अष्टमी पूजा का शुभ समय- 06.31 ए एम से 06.29 पी एम तक।

पूजन की कुछ अवधि- 11 घंटे 58 मिनट्स

चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 14 मार्च 2023 को 08.22 पी एम से

अष्टमी तिथि का समापन- 15 मार्च 2023 को 06.45 पी एम पर।

15 मार्च 2023, बुधवार : दिन का चौघड़िया

लाभ- 06.31 ए एम से 08.01 ए एम

अमृत- 08.01 ए एम से 09.31 ए एम

शुभ- 11.01 ए एम से 12.30 पी एम

चर- 03.30 पी एम से 04.59 पी एम

लाभ- 04.59 पी एम से 06.29 पी एम

15 मार्च रात का चौघड़िया :

शुभ- 07.59 पी एम से 09.29 पी एम

अमृत- 09.29 पी एम से 11.00 पी एम

चर- 11.00 पी एम से 16 मार्च को 12.30 ए एम,

लाभ- 03.30 ए एम से 16 मार्च को 05.00 ए एम तक।

पूजा विधि-Goddess Sheetala Puja VIdhi

– शीतला सप्तमी-अष्टमी के दिन अलसुबह जलदी उठकर माता शीतला का ध्यान करें।

– शीतला सप्तमी के दिन व्रती को प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।

– स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेना चाहिए-

'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये'

– संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।

– सप्तमी के दिन महिलाएं मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर पूजा करती हैं।

– पूजन का मंत्र- 'हृं श्रीं शीतलायै नम:' का निरंतर उच्चारण करें।

– माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर भी डालें। जो जल चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद जो जल बहता है, उसमें से थोड़ा जल लोटे में डाल लें। यह जल पवित्र होता है। इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं। थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़कना चाहिए। इससे घर की शुद्धि होती है।

– इसके पश्चात एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं। ज्ञात हो कि शीतला सप्तमी के व्रत के दिन घरों में ताजा भोजन नहीं बनता है। अत: भक्त इस दिन एक दिन पहले बने भोजन को ही खाते हैं और उसी को मां शीतला को अर्पित करते हैं।

– तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ करें और कथा सुनें।

– कथा पढ़ने के बाद माता शीतला को भी मीठे चावलों का भोग लगाएं।

– रोगों को दूर करने वाली मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट पूजन भी भी करना चाहिए।

– कई स्थानों पर शीतला सप्तमी को लोग गुड़ और चावल का बने पकवान का भोग लगाते हैं। पूजा करने के बाद गुड़ और चावल का प्रसाद का वितरण भी किया जाता है। जिस घर में सप्तमी-अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी-अष्टमी व्रत का पालन किया जाता है, वहां घर में सुख, शांति बनी रहती है तथा रोगों से मुक्ति निजात भी मिलती है।

– इसी तरह चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भी देवी मां शीतला की पूजा करने का विधान है।

कथा : Goddess Sheetala Katha

शीतला माता के पूजन संबंधी पौराणिक कथा के अनुसार एक बार एक राजा के इकलौते पुत्र को शीतला (चेचक) निकली। उसी के राज्य में एक काछी-पुत्र को भी शीतला निकली हुई थी। काछी परिवार बहुत गरीब था, पर भगवती का उपासक था। वह धार्मिक दृष्टि से जरूरी समझे जाने वाले सभी नियमों को बीमारी के दौरान भी भली-भांति निभाता रहा।

घर में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता था। नियम से भगवती की पूजा होती थी। नमक खाने पर पाबंदी थी। सब्जी में न तो छौंक लगता था और न कोई वस्तु भुनी-तली जाती थी। गरम वस्तु न वह स्वयं खाता, न शीतला वाले लड़के को देता था। ऐसा करने से उसका पुत्र शीघ्र ही ठीक हो गया।

उधर जब से राजा के लड़के को शीतला का प्रकोप हुआ था, तब से उसने भगवती के मंडप में शतचंडी का पाठ शुरू करवा रखा था। रोज हवन व बलिदान होते थे। राजपुरोहित भी सदा भगवती के पूजन में निमग्न रहते। राजमहल में रोज कड़ाही चढ़ती, विविध प्रकार के गर्म स्वादिष्ट भोजन बनते। सब्जी के साथ कई प्रकार के मांस भी पकते थे। इसका परिणाम यह होता कि उन लजीज भोजनों की गंध से राजकुमार का मन मचल उठता। वह भोजन के लिए जिद करता। एक तो राजपुत्र और दूसरे इकलौता, इस कारण उसकी अनुचित जिद भी पूरी कर दी जाती।

इस पर शीतला का कोप घटने के बजाय बढ़ने लगा। शीतला के साथ-साथ उसे बड़े-बड़े फोड़े भी निकलने लगे, जिनमें खुजली व जलन अधिक होती थी। शीतला की शांति के लिए राजा जितने भी उपाय करता, शीतला का प्रकोप उतना ही बढ़ता जाता। क्योंकि अज्ञानतावश राजा के यहां सभी कार्य उलटे हो रहे थे। इससे राजा और अधिक परेशान हो उठा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि इतना सब होने के बाद भी शीतला का प्रकोप शांत क्यों नहीं हो रहा है।

एक दिन राजा के गुप्तचरों ने उन्हें बताया कि काछी-पुत्र को भी शीतला निकली थी, पर वह बिलकुल ठीक हो गया है। यह जानकर राजा सोच में पड़ गया कि मैं शीतला की इतनी सेवा कर रहा हूं, पूजा व अनुष्ठान में कोई कमी नहीं, पर मेरा पुत्र अधिक रोगी होता जा रहा है जबकि काछी पुत्र बिना सेवा-पूजा के ही ठीक हो गया। इसी सोच में उसे नींद आ गई।

श्वेत वस्त्र धारिणी भगवती ने उसे स्वप्न में दर्शन देकर कहा- 'हे राजन्‌! मैं तुम्हारी सेवा-अर्चना से प्रसन्न हूं। इसीलिए आज भी तुम्हारा पुत्र जीवित है। इसके ठीक न होने का कारण यह है कि तुमने शीतला के समय पालन करने योग्य नियमों का उल्लंघन किया। तुम्हें ऐसी हालत में नमक का प्रयोग बंद करना चाहिए। नमक से रोगी के फोड़ों में खुजली होती है।

घर की सब्जियों में छौंक नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इसकी गंध से रोगी का मन उन वस्तुओं को खाने के लिए ललचाता है। रोगी का किसी के पास आना-जाना मना है क्योंकि यह रोग औरों को भी होने का भय रहता है। अतः इन नियमों का पालन कर, तेरा पुत्र अवश्य ही ठीक हो जाएगा।' विधि समझाकर देवी अंतर्ध्यान हो गईं। प्रातः से ही राजा ने देवी की आज्ञानुसार सभी कार्यों की व्यवस्था कर दी।

इससे राजकुमार की सेहत पर अनुकूल प्रभाव पड़ा और वह शीघ्र ही ठीक हो गया। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण और माता देवकी का विधिवत पूजन करके मध्यकाल में सात्विक पदार्थों का भोग लगाने की मान्यता है। इस तरह पूजन एवं कथा वाचन से पुण्य की प्राप्ति तथा कष्टों का निवारण होता है।

उपाय : Sheetala Mata Ke Upay

– शीतला सप्तमी का व्रत और पूजन अच्छी सेहत खुशियां देने वाला माना जाता है।

– मां शीतला का पूजन जीवन में सभी तरह के ताप से बचने के लिए सर्वोत्तम उपाय माना जाता है।

– शीतला सप्तमी तथा अष्टमी व्रत दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्र रोग तथा शीतलाजनिक रोगों से मुक्ति के लिए बहुत फलदायी। अत: इस दिन माता का शीतल जल से अभिषेक-पूजन करने से देवी शीतला प्रसन्न होकर स्वस्थ रहने का वरदान देती है।

– शीतला सप्तमी-अष्टमी के दिन माता शीतला को जल अर्पित करके उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर डालना चाहिए, इस उपाय से शरीर की गर्मी दूर होकर माता का आशीष मिलता है।

माता शीतला को ठंडी चीजों का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करने से जीवन खुशहाल बनता है।

मंत्र : Goddess Sheetala Mantra

– 'हृं श्रीं शीतलायै नम:'

– 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नम:'

-'शीतले त्वं जगन्माता, शीतले त्वं जगत् पिता।

शीतले त्वं जगद्धात्री, शीतलायै नमो नमः'।

– 'वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्‌,

मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्‌।'

– अर्थात् मैं गर्दभ पर विराजमान, दिगंबरा, हाथ में झाडू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की वंदना करता/करती हूं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Descoperiți cele mai bune trucuri pentru gătit, sfaturi pentru a vă organiza viața și informații utile pentru grădinăritul dumneavoastră pe site-ul nostru! Aici veți găsi rețete delicioase, idei creative și articole practice pentru a vă îmbunătăți abilitățile în bucătărie, a vă simplifica viața de zi cu zi și a vă transforma grădina într-un paradis verde. Un test simplu de IQ: trebuie să găsești Iluzia optică Un titan Câteva persoane vor fi Provocarea de puzzle Iluzie optică super sofisticată: Descoperiți cele mai bune trucuri și sfaturi pentru viața de zi cu zi, rețete delicioase și informații utile despre grădinărit pe site-ul nostru. Aflați cum să vă simplificați viața, să gătiți mâncăruri savuroase și să aveți grijă de grădina dvs. cu sfaturi practice și articole interesante. Vă așteptăm să descoperiți secretele unei vieți mai bune!