किन्नर समाज के लोग किस देवी की करते हैं पूजा और कहां स्थित है इनका मंदिर ?
समाज में स्त्री-पुरुष के अलावा एक तीसरा समाज होता है जिसे आजकल थर्ड जेंडर कहा जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में स्त्री-पुरुष के अलावा कई जगहों पर यक्ष, गंधर्व और किन्नरों का जिक्र किया गया है। हमारे समाज में बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो किन्नर समुदाय से आते हैं। ये किन्नर न तो पूरी तरह से पुरुष होते हैं और न ही पूरी तरह से स्त्री होते हैं। आज भी किन्नरों की दुनिया आम लोगों से एकदम अलग होती है। किन्नरों की सामाजिक दुनिया एकदम अलग और रहस्यमयी होती है। किन्नरों का पहनावा, रहन-सहन, रीति-रिवाज और पूजा-पद्धति आमजन के मुकाबले एकदम अलग होती हैं। किन्नरों की रहस्मयी दुनिया पर कई पुस्तकें और फिल्में भी बन चुकी है। लेकिन आपको क्या मालूम है किन्नर समुदाय किस भगवान की पूजा करते हैं और इनके कुल देवी या देवता कौन हैं। आइए जानते हैं।
राम से मिला था आशीर्वाद
मान्यता है कि प्रभु श्रीराम जब 14 वर्ष का वनवास काटने के लिए अयोध्या छोड़ने लगे, तब उनकी प्रजा और किन्नर समुदाय भी उनके पीछे-पीछे चलने लगे थे। तब श्रीराम ने उन्हें वापस अयोध्या लौटने को कहा। लंका विजय के पश्चात जब श्रीराम 14 साल वापस अयोध्या लौटे तो उन्होंने देखा बाकी लोग तो चले गए थे, लेकिन किन्नर वहीं पर उनका इंतजार कर रहे थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रभु श्रीराम ने किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा फलित होगा। तब से बच्चे के जन्म और विवाह आदि मांगलिक कार्यों में वे लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं ।
कौन है किन्नरों की देवी
बहुचरा देवी किन्नर समाज के कुलदेवी मानी जाती है। बुहचरा देवी को मुर्गे वाली माता के नाम भी जाना जाता है। किन्नर समाज के लोग बुहचरा माता को अर्धनारीश्वर के रूप में पूजते हैं। किन्नर समाज में बहुचरा देवी का मंदिर भारत में कई स्थानों पर हैं। लेकिन सबसे प्रसिद्ध मंदिर गुजरात के मेहसाणा के पास स्थित है। यहां पर बहुचरा देवी मुर्गे पर विराजमान हैं। इस मंदिर का निर्माण वडोदरा के राजा मानाजीराव गायकवाड़ ने किया था।
किन्नर भी करते हैं विवाह
किन्नर समाज में किसी नए सदस्य को शामिल करने के भी नियम है। मसलन किन्नरों के समूह में नए सदस्य को शामिल करने से पहले नाच-गाना और सामूहिक भोज होता है। वहीं आम लोगों की तरह किन्नर समाज भी वैवाहिक बंधनों में बंधते हैं। किन्नर अपने आराध्य देव अरावन से विवाह करते हैं,लेकिन इनका विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है। मान्यता है कि शादी के अगले दिन किन्नरों के अरावन देवता की मृत्यु के साथ ही इनका वैवाहिक जीवन खत्म हो जाता है।