धर्म

कौन है मां ब्रह्मचारिणी? यहाँ जानिए व्रत कथा

चैत्र नवरात्रि का 22 मार्च से शुंभारंभ हो गया है। आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। आज के दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल एवं कमल का फूल बेहद पसंद है एवं इसलिए इनकी पूजा के चलते इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में चढ़ाएं।

चूंकि मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री एवं पंचामृत का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्‍यंजन अति प्रिय होते हैं। इसलिए आप उन्‍हें दूध से बने व्‍यंजनों का भोग लगा सकते हैं। इस भोग से देवी ब्रह्मचारिणी खुश हो जाएंगी। इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है।

मां ब्रह्मचारिणी व्रत कथा:-
मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था। नारदजी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया, जिससे वे भगवान महादेव को पति स्वरूप में प्राप्त कर सकें। कठोर तप की वजह से उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी नाम पड़ा। भगवान महादेव की आराधना के चलते उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल फल-फूल खाए तथा 100 वर्ष तक शाक खाकर जीवित रहीं। कठोर तप से उनका शरीर क्षीण हो गया। उनक तप देखकर सभी देवता, ऋषि-मुनि अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने बोला कि आपके जैसा तक कोई नहीं कर सकता है। आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण होगा। महादेव आपको पति स्वरूप में प्राप्त होंगे।

मंत्र:-
श्लोक
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु| देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||

ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
 

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