श्राद्ध पक्ष में क्यों जरूरी है अपने पितरों का तर्पण, जानिए…
श्रद्धा से किया गया कर्म श्राद्ध कहलाता है। अपने पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं। उन्हें तृप्त करने की क्रिया को तर्पण कहा जाता है। तर्पण करना ही पिंडदान करना है। बालाजी ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र सीहोर के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ गणेश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष पितृ पक्ष श्राद्ध 29 सितंबर पूर्णिमा से शुरू हो रहे हैं और 14 अक्टूबर अमावस्या तक रहेंगे। भाद्रपद की पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण की अमावस्या तक कुल 16 दिन तक श्राद्ध रहते हैं। इन 16 दिनों के लिए हमारे पितृ सूक्ष्म रूप में हमारे घर में विराजमान होते हैं। श्राद्ध में श्रीमद्भागवत गीता के सातवें अध्याय का माहात्म्य पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए। इस पाठ का फल आत्मा को समर्पित करना चाहिए। पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष आरंभ होता है। प्रतिपदा तिथि पर नाना-नानी के परिवार में किसी की मृत्यु हुई हो और मृत्यु तिथि ज्ञात न हो तो उसका श्राद्ध प्रतिपदा पर किया जाता है। पंचमी तिथि पर अगर किसी अविवाहित व्यक्ति की मृत्यु हुई है तो उसका श्राद्ध इस तिथि पर करना चाहिए। अगर किसी महिला की मृत्यु हो गई है और मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है तो उसका श्राद्ध नवमी तिथि पर किया जाता है। एकादशी पर मृत संन्यासियों का श्राद्ध किया जाता है। जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना में हो गई है, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करना चाहिए। सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों के लिए श्राद्ध करना चाहिए। जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध पक्ष/पितृ पक्ष प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होता है और अश्विन मास की अमावस्या पर इसका समापन होता है। अतः श्राद्ध पक्ष को 16 श्राद्ध भी कहा जाता है।
नदी, तालाब पर जाकर करें तर्पण-
इन 16 दिनों तक तर्पण, पूजा-अर्चना, श्राद्ध आदि करके नदी, तालाब आदि स्थलों पर जाकर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ तर्पण करके अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी जाती है तथा उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। हिंदू धर्म में 16 दिन तक श्राद्ध कर्म करने का बहुत महत्व हैं, क्योंकि यह कर्म पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस बार पितृ पक्ष 15 दिन देरी से शुरू होंगे, क्योंकि इस बार पुरुषोत्तम या अधिक मास होने के कारण इस वर्ष श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर 2023 से हो रही है और 14 अक्टूबर 2023 को श्राद्ध महालय पर इसकी समाप्ति होगी।
पितृ पक्ष की तिथियां, कौनसी तिथि कब पड़ेगी-
– 29 सितंबर 2023, शुक्रवार, पूर्णिमा श्राद्ध
– 29 सितंबर 2023 शुक्रवार, प्रतिपदा का श्राद्ध
– 30 सितंबर 2023, शनिवार, द्वितीया श्राद्ध
– 01 अक्टूबर 2023, रविवार, तृतीया श्राद्ध
– 02 अक्टूबर 2023, सोमवार, चतुर्थी श्राद्ध
– 03 अक्टूबर 2023, मंगलवार, पंचमी श्राद्ध
– 04 अक्टूबर 2023, बुधवार, षष्ठी श्राद्ध
– 05 अक्टूबर 2023, गुरुवार, सप्तमी श्राद्ध
– 06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार, अष्टमी श्राद्ध
– 07 अक्टूबर 2023, शनिवार, नवमी श्राद्ध
– 08 अक्टूबर 2023, रविवार, दशमी श्राद्ध
– 09 अक्टूबर 2023, सोमवार, एकादशी श्राद्ध
– 11 अक्टूबर 2023, बुधवार, द्वादशी श्राद्ध
– 12 अक्टूबर 2023, गुरुवार, त्रयोदशी श्राद्ध
– 13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार, चतुर्दशी श्राद्ध
– 14 अक्टूबर 2023, शनिवार, सर्व पितृ अमावस्या।
पितृ पक्ष में किसको अधिकार है श्राद्ध करने का-
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 16 दिनों तक चलता है। उक्त 16 दिनों में हर दिन अलग-अलग लोगों के लिए श्राद्ध होता है। वैसे अक्सर यह होता है कि जिस तिथि को व्यक्ति की मृत्यु हुई है, श्राद्ध में पड़ने वाली उस तिथि को उसका श्राद्ध किया जाता है, लेकिन इसके अलावा भी यह ध्यान देना चाहिए कि नियम के अनुसार किस दिन किसके लिए और कौन सा श्राद्ध करना चाहिए? पिता के श्राद्ध का अधिकार उसके बड़े पुत्र को है, लेकिन यदि जिसके पुत्र न हो तो उसके सगे भाई या उनके पुत्र श्राद्ध कर सकते हैं। यह कोई नहीं हो तो उसकी पत्नी कर सकती है। हालांकि जो कुंआरा मरा हो तो उसका श्राद्ध उसके सगे भाई कर सकते हैं और जिसके सगे भाई न हो, उसका श्राद्ध उसके दामाद या पुत्री के पुत्र (नाती) को और परिवार में कोई न होने पर उसने जिसे उत्तराधिकारी बनाया हो, वह व्यक्ति उसका श्राद्ध कर सकता है।
– पंडित सौरभ गणेश शर्मा, ज्योतिषाचार्य बालाजी ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र शास्त्री कॉलोनी स्टेशन रोड सीहोर
मोेबाइल 9229112381