धर्म

किसी भी शवयात्रा को देखकर हाथ जोड़कर प्रार्थना क्यों की जाती है?

उज्जैन. हिंदू धर्म में जीवन की शुरूआत से लेकर अंतिम समय तक मनुष्यों को कई परंपराओं (Hindu Tradition) का पालन करना होता है। यहां तक कि मृत्यु के बाद किया जाने वाला दाह संस्कार भी इन परंपराओं में शामिल है।

दाह संस्कार के दौरान अनेक नियमों का ध्यान रखा जाता है। ये नियम भी परंपराओं के अंतर्गत ही आते हैं। शवयात्रा के दौरान एक बात जरूर देखने में आती है हर व्यक्ति इसे देखकर हाथ जरूर जोड़ता है। इस परंपरा के पीछे भी कई तथ्य छिपे हैं, आज हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं। आगे जानिए इस परंपरा में छिपे तथ्यों के बारे में.

इन 3 तथ्यों पर आधारित है हमारी परंपराएं
हिंदू धर्म में जितनी भी परंपराएं हैं, वह 3 तथ्यों पर आधारित हैं, पहली धार्मिक, दूसरी वैज्ञानिक और तीसरी मनोवैज्ञानिक। यानी किसी भी परंपरा के पीछे या तो धार्मिक कारण होगा या वैज्ञानिक या फिर मनोवैज्ञानिक। अधिकांश लोग धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में ही जानते हैं लेकिन मनोवैज्ञानिक तथ्यों के बारे मे बहुत कम लोगों को पता होता है।

इसलिए करते हैं शवयात्रा को प्रणाम
दरअसल जब भी कोई शवयात्रा निकलती है तो उसे देखकर प्रणाम करने के पीछे मनोवैज्ञानिक तथ्य छिपे होते हैं। प्रणाम किसी के शव को देखकर नहीं किया जाता बल्कि उस समय परमपिता परमेश्वर से हाथ जोड़कर ये प्रार्थना की जाती है कि मृतक की आत्मा को शांति प्राप्त हो और उसे जीवन-मरण के बंधनों से मुक्ति प्रदान कर मोक्ष प्रदान करें।

हमारे पुण्य कर्म में भी होती है वृद्धि
ऐसा भी माना जाता है कि शवयात्रा देखकर मृतक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने से हमारे पुण्य कर्मों में भी वृद्धि होती है। हिंदू धर्म में शुरू से ही इस तरह के संस्कार दिए जाते हैं या फिर बच्चे अपने से बड़ों को देखकर इस तरह की परंपरा का पालन करने लगते हैं। शवयात्रा को देखकर हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना करना अनिवार्य तो नहीं है, लेकिन ये परंपरा हमारे मन में ईश्वर के प्रति गहरा विश्वास पैदा करती है।
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button