धर्म

क्यों खास है साल की अंतिम पूर्णिमा? जानें महत्व और शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है. मार्गशीर्ष यानी अगहन माह भगवान श्री कृष्ण को बहुत प्रिय है, इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान श्री कृष्ण, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा बहुत खास मानी जाती है.

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान-धर्म के कार्य बहुत उत्तम माने जाते हैं. मार्गशीर्ष पूर्णिमा इसलिए भी खास है, क्योंकि ये साल की अंतिम पूर्णिमा है. इस साल बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा 19 दिसंबर दिन सोमवार को पड़ रही है.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त
इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा 7 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 02 मिनट से लेकर अगले दिन 08 दिसंबर को सुबह 09 बजकर 36 मिनट तक रहेगी. लेकिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 7 दिसंबर को रखा जाएगा.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
पूर्णिमा तिथि पर चन्द्रमा पृथ्वी और जल तत्व को पूर्ण रूप से प्रभावित करता है. इस दिन को दैवीयता का दिन माना जाता है. इसे महीनों में सबसे पवित्र माह का अंतिम दिन कहा जाता है. इस दिन ध्यान, दान और स्नान करना विशेष लाभकारी होता है. इस दिन श्री हरि या शिव की पूजा अवश्य करनी चाहिए. इस दिन चन्द्रमा को अमृत से सिंचित किया गया था, इसलिए इस दिन चन्द्रमा की उपासना भी करनी चाहिए.

क्यों खास है साल की अंतिम पूर्णिमा?
इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा बेहद खास रहने वाली है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर सिद्ध योग के साथ पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहने वाला है. इसके अलावा, इस दिन रवि योग का भी निर्माण हो रहा है. इन तीनों शुभ योग मार्गशीर्ष पूर्णिमा को बहुत खास बना रहे हैं. ज्योतिषियों का कहना है कि इन शुभ योगों में पूर्णिमा पर दान-धर्म के कार्य करने का फल कई गुना मिल सकता है.

पूर्णिमा पर स्नान और दान धर्म
प्रातः काल स्नान के पूर्व संकल्प लें और जल में तुलसी के पत्ते डालें. पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें फिर स्नान करना आरम्भ करें. स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें. साफ वस्त्र या सफेद वस्त्र धारण करें, फिर मंत्र जाप करें. मंत्र जाप के पश्चात सफेद वस्तुओं और जल का दान करें. रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य जरूर दें. चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं.
 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button