आखिर क्या है मजबूरी, क्यों नहीं हो रही कार्रवाई?
पनीर फैक्ट्री संचालकों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेशों को नहीं माना तो अब किसानों की एनजीटी में जाने की तैयारी, जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री का मामला, नहीं किया जा रहा है नियमों का पालन

सीहोर। ग्राम पीपलियामीरा में जल प्रदूषण फैला रही पनीर फैक्ट्री पर आखिरकार कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। ऐसी क्या मजबूरी है कि लोगों की जान से बढ़कर फैक्ट्री का संचालन करवाया जा रहा है। पनीर फैक्ट्री से निकलने वाले कैमिकल्स युक्त पानी के कारण गांव के जल स्त्रोत्र दूषित हो रहे हैं। इसके कारण आसपास के गांव के लोग भी कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। हालांकि अब पनीर फैक्ट्री के खिलाफ प्रभावित किसान और ग्रामीण एनजीटी यानि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल में अपनी शिकायत दर्ज कर न्याय की गुहार लगाएंगे। विगत दिनों प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस फैक्ट्री का उत्पादन बंद करने और फैक्ट्री का बिजली कनेक्शन तत्काल काटने के निर्देश दिए थे, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों को स्थानीय प्रशासन पालन करने में अभी तक नाकाम रहा है। ऐसे में अब प्रभावित ग्रामीण एनजीटी का दरवाजा खटखटाएंगे।
जयश्री गायत्री पनीर फैक्ट्री संचालक और प्रबंधक द्वारा पर्यावरण के नियमों को ताक पर रखते हुए कई वर्षों से फैक्ट्री का दूषित जहरीला पानी समीपस्थ नदी में छोड़ा जा रहा है। कैमिकलयुक्त इस पानी के कारण क्षेत्र के कुंए, हैंडपंप, ट्यूवबेलों में दूषित पानी का रिसाव हो रहा है। इसके कारण यह सभी स्त्रोतों का जल दूषित हो रहा है। नदी नालों के जीव जंतु मर रहे हैं। नदी का कैमीकलयुक्त जहरीला पानी पीले तो मवेशी दो-चार दिन बीमार रहकर मर जाती हैं। इस दूषित पानी के रिसाव से ग्रामीणों निजी जल स्त्रोत्र में भी दूषित पानी आ रहा है, जिसको मजबूरन पीना पड़ता है, जिससे कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं। उक्त गंदे पानी के सेवन से चर्मरोग की भी समस्या हो रही है। क्षेत्रीय किसान नदी के पानी को अपनी फसलों में सिंचाई के रूप में इस्तेमाल करते हैं। नदी का पानी पूरी तरह दूषित हो गया है। इससे फसलों पर भारी प्रभाव पड़ रहा है, फसल के उत्पादन में काफी कमी आई है व जमीन की उपजाऊ क्षमता भी कम होती जा रही है। इस विकट समस्या को लेकर पूर्व में भी कई बार शिकायत जिला कलेक्टर व एसडीएम को की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण फैक्ट्री का कैमीकलयुक्त पानी अभी भी धड़ल्ले से लापरवाही पूर्वक नदी में बहाया जा रहा है।
फैक्ट्री से लगातार नाले में छोड़ा जा रहा पानी-
ग्रामीण मांगीलाल मेवाड़ा ने बताया कि पनीर फैक्ट्री से लगातार दूषित पानी नाले में छोड़ा जा रहा है, जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उसे तत्काल बंद कराने के निर्देश दिए थे। अब सभी किसान मिलकर फैक्ट्री खिलाफ एनजीटी में मामला दर्ज कराएंगे।
किसान कर चुके हैं प्रदर्शन नहीं-
पानी फैक्ट्री से निकलने वाले गंदे पानी से परेशान ग्राम पीपिलयामीरा के किसान मांगीलाल, रामलाल, लखन, खुशीलाल, लीलाकिशन, नारायण सिंह, लक्ष्मण सिंह, भारत मेवाड़ा, मोहन सिंह मेवाड़ा, देवनारायण, सुजान सिंह, चांदसिंह, नरेश, राजेंद्र दुबे, रघुवीर सिंह, माखन सिंह, मानसिंह, दीपक, मुकेश मेवाड़ा, विनोद मेवाड़ा ज्ञापन सौंप कर कलेक्टर से फैक्ट्री से गंदा पानी रोकने की मांग कर चुके हैं, लेकिन लगातार फैक्ट्री से गंदा पानी छोड़ा जा रहा है।
क्या है एनजीटी-
राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट 2010 के तहत केंद्र सरकार द्वारा एनजीटी की स्थापना 18 अक्टूबर, 2010 को हुई थी। केंद्र सरकार का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, जंगलों के संरक्षण और अनुमतियां प्रदान के दौरान निर्दिष्ट पर्यावरण कानूनों या शर्तों के उल्लंघन के कारण लोगों या संपत्ति की क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजे की मांग के मामलों का प्रभावी और शीघ्र निपटान के लिए एक विशेष मंच प्रदान करना है। एनजीटी के पास पर्यावरण संबंधी मुद्दों और एनजीटी अधिनियम की अनुसूची 1 में सूचीबद्ध कानूनों के कार्यांवयन से संबंधित प्रश्नों से संबंधित सभी सिविल मामलों की सुनवाई करने के अधिकार है। इनमें (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974, जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) सेस अधिनियम, 1977, वन (संरक्षण) अधिनियम 1980, वायु (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986, सार्वजनिक उत्तरदायित्व बीमा अधिनियम 1991, जैविक विविधता अधिनियम 2002 शामिल हैं। इन कानूनों से संबंधित कोई भी उल्लंघन या इन कानूनों के तहत सरकार द्वारा दिए गए किसी भी आदेश या फैसले को एनजीटी के समक्ष चुनौती दी जा सकती है।