सीहोर-रेहटी। कानून की छोटी-छोटी जानकारियां न्याय दिलाने में सहायक होती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को इसकी जानकारियां बेहद कम होती है, इसलिए कई बार उन्हें न्याय के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। कानून की जानकारी सभी को हो, इसके लिए इस तरह के विधिक सेवा शिविरों का आयोजन लगातार होना चाहिए। इस तरह के शिविरों में लोगों को कई तरह की जानकारियां मिल जाती हैं। ये बातें प्रधान जिला न्यायाधीश रामानंद चंद ने कही। वे बुधनी में आयोजित मेगा विधिक सेवा शिविर में अपना संबोधन दे रहे थे। इससे पहले मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ शिविर का विधिवत शुभारंभ किया गया।
प्रधान जिला न्यायाधीश रामानंद चंद ने कहा कि शिविर का मुख्य उद्देश्य नारी सशिक्तीकरण के लिए महत्वपूर्ण कदम एवं अभिनव पहल है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में देखने में आता है कि बहुत सारे लोगों को कानून की छोटी-छोटी जानकारियां नहीं हो पाती हैं। इसके लिए वे कई बार न्याय से वंचित रह जाते हैं या फिर भटकते रहते हैं। अगर उन्हें विधिक सेवा की जानकारियां उपलब्ध होगी तो वह न्याय के लिए कोर्ट में अपील कर सकता है। उन्होंने कहा कि देखने में आता है कि बहुत सारे ऐसे अपराध जो घरेलू हिंसा से संबंधित या फिर बाल अपराध से संबंधित हो, जिसमें महिलाओें को बच्चों की जानकारियों का अभाव रहता है और वे पुलिस एवं कोर्ट के पास नहीं जा पाते हैं। जिला न्यायाधीश बुधनी मनीष लोवंशी ने शिविर में अजा-जजा अधिनियम से संबंधित जानकारियां दीं। उन्होंने नालसा गरीबी उन्मूलन योजना एवं नालसा आदिवासियों के संरक्षण एवं प्रवर्तन के लिए विधिक सेवा योजना के बारे में भी विस्तार से बताया। न्यायाधीश ठाकुर प्रसार मालवीय ने ग्राम न्यायालय के बारे में उपस्थित लोगोें को बताया। शिविर में न्यायाधीश कुणाल वर्मा ने महिलाओं से संबंधित कानून व विधि की जानकारी दी।
अभिभाषक संघ ने किया आभार प्रकट-