भंडारे में पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने की प्रसादी ग्रहण
भंडारे में पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने की प्रसादी ग्रहण
सीहोर। शहर के विश्राम घाट मां चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर में जारी नौ दिवसीय दिव्य यज्ञ का समापन रविवार को रामनवमी पर किया गया। इस मौके पर सुबह यज्ञ में पूर्णाहुतियां दी गई और उसके पश्चात पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। भंडारे का आयोजन देर शाम तक चलता रहा। करीब एक क्विंटल से अधिक फूलों के द्वारा माता का विशेष श्रृंगार किया गया था।
सुरक्षा के मद्दे नजर प्रशासन द्वारा पुलिस बल भी तैनात किया गया है। वहीं, मनोकामना की पूर्ति के लिए मंदिर में दर्शन पूजन चलता रहा। लाइन में लगे श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किए। इस दौरान मंदिर में माता के जयकारे गूंजते रहे। वहीं, मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं द्वारा हवन पूजन भी किया गया। इसके साथ ही तमाम श्रद्धालुओं ने इस मौके पर मंदिर में आई कन्याओं का भी पूजन किया। इससे पहले मंदिर परिसर में हर साल की तरह इस साल भी शनिवार-रविवार की देर रात्रि को सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर निशा आरती में शामिल होकर धर्म का लाभ लिया। करीब 150 सालों से माता के दरबार में निशा आरती होती है और उसके पश्चात भंडारे का आयोजन होता है। पिछले दो सालों से कोरोना महामारी के कारण कन्या भोज आदि होते थे, लेकिन दो साल बाद हुए भंडारे में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की।
हवन और भंडारे में उमड़ा आस्था का सैलाब
चैत्र नवरात्रि के अवसर पर प्रसिद्ध मरीह माता मंदिर में जहां पर जारी नौ दिवसीय हवन के दौरान पंडित उमेश शर्मा, मनोज दीक्षित मामा, मंदिर के व्यवस्थापक गोविन्द मेवाड़ा सहित अन्य श्रद्धालुओं ने मां सिद्धिदात्री का आह्वान करते हुए यज्ञ में आहुतियां दी। इसके पश्चात सुबह दस बजे से भंडारे का आयोजन किया गया था। जिसमें शाम तक पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। पंडित श्री शर्मा ने बताया कि नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सिद्धिदात्री भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं। शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह 8 सिद्धियां हैं। मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान हैं। मां के चार हाथ हैं। मां ने हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और च्रक धारण किया है। मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी मानते हैं।