आष्टासीहोर

शास्त्रीय और सांस्कृतिक परम्पराओं के साथ प्रभु प्रेमी संघ ने मनाया हिन्दू नववर्ष

आष्टा। ज्ञान से ही शांति की प्राप्ति होती है। परम्परा के प्रति आदर हो और विचार पूर्वक संवाद हो शांति और सुख का आविर्भाव होता है। दूसरों को यश दीजिये तो प्रभु आपके आंगन में खेलेंगे। दृष्टि अनुकूल होगी तो ही आनन्द मिलेगा। दोष देखने वाला परमात्मा में भी दोष देख लेता है। मधुमक्खी परागण ढूंढती जबकि मक्खी गन्दगी की और आकृष्ट होती है। यह दिव्य जीवन सूत्र वेदाचार्य डॉ निलिम्प त्रिपाठी ने अपने प्रवचनों में प्रभु प्रेमी संघ द्वारा स्थानीय मानस भवन में आयोजित हिन्दू नव वर्ष समारोह में व्यक्त किए। नववर्ष में नव उत्कर्ष और नवाचार के साथ जीवन जीने का संदेश देते हुए डॉ निलिम्प त्रिपाठी ने कहा कि जो भगवान पर विश्वास रखते हैं उन्हें भय नहीं होता भय भोगी को होता है। निर्भयता प्रभु का प्रसाद है और निर्मलता में प्रभु का वास होता है। कलुषता से जलते ह्रदय में प्रभु का वास नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि सदाचार की चादर बड़े-बड़े तूफानों से भी बचा सकती है। एक तिनके की ओट से सीता ने आत्म रक्षा की। विद्वान वक्ता ने मितभाषी और मधुर संवाद को सफलता का कारक बताते हुए कहा कि कम बोले अच्छा बोले। ह्रदय में प्रभु के लिए स्थान बनाइए। परमात्मा सर्वव्यापी तथा सर्वज्ञ है। क्रोध को प्रेम से एवम अज्ञान को ज्ञान से जीता जाता है। अतः अपने आचरण और व्यवहार मे संयमित और व्यवस्थित रहे। सुधार अनुभव की वस्तु है। जगत में सिद्ध साधक होते हैं, किंतु साधक में जगत नहीं होता। हमारी भाषा और क्रियाओं में संस्कार होना चाहिए। डॉ निलिम्प त्रिपाठी ने आष्टा नगर में व्याप्त आस्था और धर्मानुशासन को रेखांकित करते हुए सभी उपस्थित प्रभु प्रेमी जन तथा इस क्षेत्र पर पूज्य गुरुदेव स्वामी अवधेशाननन्द गिरिजी महाराज की अनुकम्पा को सभी का सौभाग्य बताते हुए कहा कि निर्मल ह्रदय से की गई भक्ति सदैव प्रभावी होती है। नोट गिनने जैसा आनन्द अगर माला के मनके गिनने में आए तो परमात्मा उपलब्ध होने लगते हैं। उन्होंने समर्पण और सौजन्य को प्रेम का कारक बताते हुए कहा कि निर्वाह बुद्धि से जीवन जीने से शाश्वतता नहीं आती है। इसके पूर्व मानस भवन में प्रभु प्रेमी संघ के अध्यक्ष सुरेश पालीवाल एवम पदाधिकारियों ने नव संवत्सर की प्रभात बेला में विधि विधान से भगवा ध्वजारोहण किया। नव संवत्सर की चैत्र प्रतिपदा प्रभु श्रीराम का राज्याभिषेक दिवस होने के चलते भगवान श्रीराम एवं स्वामी अवधेशानन्द के चित्र पर वरिष्ठजन ने माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस अवसर पर अखण्ड मानस मंडल के ॐ नारायण, राम ठाकुर एव सदस्यों ने तुलसीदासजी कृत राम राज्याभिषेक पदावली का संगीतमय वाचन किया। गुड़ी पड़वा की पारम्परिक पूजन मुम्बई के महाडिक परिवार ने पूर्ण श्रद्धा और विधिविधान से सम्पन्न कर नीम गुड़ तथा दाल का प्रसाद वितरित किया। शास्त्रीय संगीत मय भक्ति तथा प्रभावी कत्थक नृत्य कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण था। नगर गौरव कौशिकी श्रीवादी के निदेशन में योगिता नारेलिया, मानविका परमार, अनुभा जोशी तथा वैष्णवी परमार के नृत्य समूह ने शानदार कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दे कर सभी से प्रशंसा बटोरी। संगीत गुरु राम श्री वादी की मंडली ने भी गणेश वंदना, सरस्वती वंदना सहित गुरु भक्ति, राम भक्ति के मधुर और स्वरचित भजनों की प्रस्तुति दे कर सम्पूर्ण वातावरण में भक्ति रस घोला। इसके पूर्व प्रभु प्रेमी संघ के संयोजक कैलाश परमार ने स्वागत उद्बोधन में डॉ निलिम्प त्रिपाठी एवम उपस्थित प्रभुप्रेमी जन का अभिनन्दन किया। प्रभु प्रेमी संघ की अनुशासन एवम सौजन्य परम्परा का पालन करते हुए संघ के महासचिव प्रदीप प्रगति ने सभी उपस्थित जन को श्वेत टोपी पहना कर सम्मान किया। कार्यक्रम के अंत में भगवान की महाआरती की गई। इस अवसर पर भगवान झूलेलाल जी का स्मरण किया गया।आरती के पश्चात वरिष्ठ समाजसेवी मोहनसिंह अजनोदिया ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध साहित्यकार अतुल सुराणा एवम गोविंद शर्मा ने किया। आरती पश्चात फलाहारी प्रसाद एवम स्वल्पाहार का वितरण किया गया।

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