राजनीतिक

जेडीएस से नहीं करेगी बीजेपी गठबंधन

बेंगलुरु । कर्नाटक में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। 224 सीटों वाली विधानसभा के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने 150 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। हालांकि प्रदेश में भगवा पार्टी और जनता दल (सेक्यूलर) यानी जेडीएस के साथ गठबंधन के कयास भी लगाए जा रहे हैं। इस बीच बीजेपी ने यह साफ कर दिया है कि वह विधानसभा के दंगल में अपने दम पर उतरेगी। चुनाव से पहले और न चुनाव के बाद किसी भी दल के साथ गठबंधन करेगी। पार्टी का यह मानना है कि इस संदेश के साथ मतदाताओं के बीच गठबंधन को लेकर जारी भ्रम की स्थिति खत्म हो जाएगी। हालांकि बीजेपी को उनके पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा टेंशन दे रहे हैं। हाल में वह पार्टी के कई बड़े कार्यक्रमों से दूर रहे। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया है कि भाजपा पुराने मैसूर और कल्याण में जेडीएस के वोटबैंक में सेंध लगाने की तैयारी कर रही है। पार्टी को इस बात का अंदाजा है कि इन इलाकों में वोट शेयर बढ़ाना कितना जरूरी है। नाम नहीं छापने की शर्त पर बीजेपी के एक पदाधिकारी ने मीडिया से कहा कि इन क्षेत्रों में जेडीएस को वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन प्राप्त है। इनकी आबादी कुल मतदाताओं का 14 प्रतिशत है। पिछले चुनाव में भाजपा ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया था। ऐसा इसलिए कि उन्हें लगा था कि बीजेपी और जेडीएस के बीच अंदरखाने गठबंधन की बात है। हालांकि अब अमित शाह ने दिसंबर की अपनी यात्रा के दौरान साफ कर दिया कि कर्नाटक में त्रिकोणीय लड़ाई होगी।
पुराने मैसूर में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाना चाहती बीजेपी
बीजेपी पुराने मैसूर में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाना चाहती है जहां से 64 विधायक आते हैं। अभी उसके पास सिर्फ 13 सीटें हैं। वहीं बैंगलुरु में 28 में से 16 सीटों पर जीत मिली थी। कल्याण में कुल 40 सीटें हैं। 2013 से 2018 तक बीजेपी ने कर्नाटक की गद्दी पर राज किया। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन राज्य में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी थी। 2019 में 18 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इनमें से अधिकतर कांग्रेस से थे। इसके बाद बीजेपी यहां सत्ता में लौटी। इनमें से अधिकतर ने बीजेपी के सिंबल पर उपचुनाव में जीत हासिल की। भाजपा को इस बात की उम्मीद है कि कुर्बा लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के नेता बीजेपी का दामन थामेंगे। पुराने मैसूर क्षेत्र में ये समुदाय प्रभावशाली है। बीजेपी पदाधिकारी ने कहा कि कर्नाटक में हमारे पास पहले से ही वोक्कालिगा समुदाय से सात मंत्री हैं। केंद्र में भी एक मंत्री है। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले इस समुदाय के और नेताओं के बीजेपी में शामिल होने की उम्मीद है। इसकी वजह से मांड्या हसन और चामराजनगर जैसे क्षेत्रों में बीजेपी के पक्ष में परिणाम सामने आएंगे। बीजेपी को लिंगायत समुदाय के समर्थन का पूरा भरोसा है जो पहले भी भगवा पार्टी का समर्थन करती रही है। कर्नाटक में इनकी आबादी करीब 17 प्रतिशत है। बीजेपी ही नहीं तमाम दलों को कर्नाटक के जातीय समीकरण पर निर्भर रहना पड़ता है।
राज्य में किए गए विकास कार्य पार्टी की मदद करेंगे: अरुण सिंह
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य के प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के साथ-साथ राज्य में किए गए विकास कार्य पार्टी की मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है। उनकी साफ छवि है। वह काफी लोकप्रिय भी हैं। कांग्रेस उनके खिलाफ एक अभियान चला रही है। इससे कर्नाटक के लोग खुश नहीं हैं। वे इसे कन्नड़ गौरव पर हमले के रूप में देख रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी की सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की सीमा को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। इससे बीजेपी को आने वाले चुनाव में लाभ मिलेगा। 

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