Newsआष्टाइछावरइंदौरग्वालियरजबलपुरजावरनसरुल्लागंजबुदनीभोपालमध्य प्रदेशराजनीतिकरेहटीविशेषसीहोर

आष्टा विधानसभा : आयातित प्रत्याशियों के भरोसे भाजपा-कांग्रेस, वर्षों से संघर्ष कर रहे नेताओं की अनदेखी

भाजपा की ’इंजीनियरिंग’ हो रही असफल, पंजा वाले ’कमल’ भी मुरझा रहे

सुमित शर्मा, सीहोर
सीहोर जिले की सबसे चर्चित विधानसभा सीटों में से एक आष्टा विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही ’आयातित’ प्रत्याशियों के भरोसे पर चुनाव मैदान में है। भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस से आयातित इंजीनियर गोपाल सिंह को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने भी प्रजातांत्रिक पार्टी से आयातित कमल सिंह चौहान पर दांव खेला है। हालांकि इन आयातित नेताओें के कारण भाजपा, कांग्रेस में वर्षोें से संघर्ष कर रहे नेताओं की एक बार फिर अनदेखी की गई है। इसके कारण इन नेताओें में जहां निराशा है वहीं उनकी उम्मीदें भी बिखर गईं हैं। भाजपा, कांग्रेस में टिकट फाइनल होने के बाद इन नेताओें का विरोध भी सड़कों पर आ गया था, बाद में डैमेज कंट्रोल करके विरोध कर रहे नेताओं को शांत किया गया है। हालांकि भाजपा, कांग्रेस में आयातित किए गए नेताओें को टिकट जरूर दिया गया है, लेकिन जमीनी स्तर पर इनकी स्थिति ज्यादा मजबूत नजर नहीं आ रही है। भाजपा प्रत्याशी इंजीनियर गोपाल सिंह की जहां पर राजनीति की ’इंजीनियरिंग’ फेल साबित होती दिख रही है तो वहीं कांग्रेस के ’कमल’ सिंह चौहान भी मुरझाए से नजर आ रहे हैं।
आष्टा विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा, कांग्रेस, बसपा, सपा सहित 9 प्रत्याशियों के बीच में चुनावी महा मुकाबला है। भाजपा ने कांग्रेस से आयातित नेता इंजीनियर गोपाल सिंह को प्रत्याशी बनाकर उतारा है। टिकट फाइनल होने के बाद उनका जमकर विरोध भी सामने आया, लेकिन विरोेध को दरकिनार करते हुए पार्टी ने यहां पर प्रत्याशी नहीं बदला। कैलाश बगाना उनका सार्वजनिक तौर पर विरोेध कर चुके एवं वे निर्दलीय प्रत्याशी बनकर चुनाव मैदान में भी उतरे, लेकिन बाद में उनका नामांकन वापस दिलवा दिया गया।

Sehore district wise Assembly Constituencies Madhya Pradesh Election map 2018

उन्होंने कहा था कि भाजपा ने एक कांग्रेसी मानसिकता के प्रत्याशी को अपना उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले भाजपा ने उनकी पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया और फिर सामान्य सीट पर इंजीनियर गोपाल सिंह को भी अध्यक्ष बनाया गया है। इससे सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों का हक मारा गया है। उनके भाजपा में आने से ऐसा क्या मिल गया है। ऐसा ही विरोध कांग्रेस के कमल सिंह चौहान का भी हुआ। वर्षों से भाजपा, कांग्रेस में संघर्ष कर रहे नेताओें की अनदेखी करके इन आयातित नेताओें को टिकट दे दिया। इंजीनियर गोपाल सिंह वर्ष 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली।
कांग्रेस के ’आयातित’ प्रत्याशी कमल सिंह चौहान को लेकर भी कांग्रेस के अंदर विरोध के स्वर उठे। कमल सिंह चौहान को लेकर किसान कांग्रेस के प्रदेश सचिव एवं एडवोकेट मनोहर सिंह पंडितिया ने विरोध जताते हुए पार्टी के प्रदेश आलाकमान से टिकट बदलने की भी मांग उठाई। कमल सिंह चौहान आष्टा की प्रजातांत्रिक समाधान पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए हैं। वर्ष 1998 के बाद से आष्टा में प्रजातांत्रिक समाधान पार्टी का उदय हुआ। आष्टा तहसील के ग्राम हाकिमाबाद के नेता फूलसिंह चौहान ने अपने साथियों के साथ इस पार्टी का गठन किया था। 1998 एवं 2003 के विधानसभा चुनाव के बाद 2004 में इस दल के संस्थापक अध्यक्ष फूलसिंह चौहान का निधन हो गया। उसके बाद इस दल की कमान इनके भाई कमल सिंह चौहान ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर संभाली और उसके बाद 2008, 2013, 2018 के चुनाव में कमलसिंह चौहान चुनाव लड़े और मुकाबले को हर बार त्रिकोणीय बनाने में सफल रहे। इस बार उन्हें कांग्रेस ने टिकट देकर मैदान में उतारा है।

कांग्रेस का धुल सकता है कलंक-
आष्टा विधानसभा सीट से कांग्रेस की हार का कलंक इस बार धुल सकता है। आष्टा विधानसभा सीट पर वर्ष 1977 से 2018 तक हुए 10 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार ही जीत का स्वाद चख पाई है। वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजीत सिंह ने कांग्रेस कोे विजयी दिलाई थी। इसके बाद से कांग्रेस यहां पर कभी नहीं जीती। इस बार कांग्रेस आष्टा विधानसभा सीट पर जीत का स्वाद चखने के लिए लालायित है और इसके लिए पार्टी ने पहले से ही रणनीति भी तय की। इस बार कांग्रेस का खेेल बिगाड़ने वाले प्रजातांत्रिक समाधान पार्टी के कमल सिंह चौहान कांग्रेस से प्रत्याशी है। ऐसे में उनकी जीत की संभावनाएं कुछ हद तक तो नजर आती है, लेकिन अंदरखाने की बगावत कहीं खेल न बिगाड़ दे।

आष्टा विधानसभा में इनके बीच मुकाबला
क्र. प्रत्याशी-पार्टी                                            चुनाव चिन्ह
1. कमल सिंह चौहान-कांग्रेस                              हाथ का पंजा
2. गोपाल सिंह इंजीनियर-भाजपा                         कमल
3. बद्रीलाल कटारिया-बसपा                               हाथी
4. अजय परमार-आजाद समाज पार्टी                   केतली
5. आम्बाराम मालवीय-सपा                                साइकिल
6. कमलसिंह जांगड़ा-राष्ट्रीय जन आवाज पार्टी       हीरा
7. सोभाल सिसोदिया-समता समाधान पार्टी           बिजली का खंभा
8. नरेशचंद्र सूर्यवंशी-निर्दलीय                             छड़ी
9. संतोष कुमार दामड़ियां-निर्दलीय                     बल्ला

इतने मतदाता हैं आष्टा विधानसभा में-
– आष्टा विधानसभा में कुल मतदाता: 2,77,070
– पुरूष मतदाता: 1,43,156
– महिला मतदाता: 1,33,912
– अन्य मतदाता: 2
– जेंडर रेशो: 935
– इपी रेशो: 6308
– पीडब्ल्यूडी मतदाता: 5071
– 18-19 वर्ष के मतदाता: 13864
– 20-29 वर्ष के मतदाता: 74844
– 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाता: 5182

जातिगत आधार पर वोट बैंक का गणित-
– एससी: 95 हजार
– एसटी: 5 हजार
– सेंधव: 35 हजार
– खाती समाज: 26 हजार
– मेवाड़ा समाज: 25 हजार
– सामान्य श्रेणी: 40 हजार
– मुस्लिम समुदाय: 25 हजार
– अन्य समाज: 26 हजार के करीब

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button