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खबर का असर…. 45 साल बाद भी रिकार्ड दुरूस्त नहीं हुआ, कलेक्टर ने बुलाई जानकारी

सीहोर। जिले की रेहटी तहसील में कोलार परियोजना के लिए वर्ष 1979 में किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया था। अधिग्रहण के बाद जल संसाधन विभाग द्वारा किसानों को राशि भी दी गई, लेकिन करीब 45 साल बाद भी इस जमीन को राजस्व रिकार्ड में दुरूस्त नहीं किया गया। इस संबंध में sehorehulchal.com में खबर प्रकाशित की गई थी। इसके बाद कलेक्टर द्वारा मामले में संज्ञान लेते हुए रेहटी तहसीलदार एवं जल संसाधन विभाग कोलार परियोजना रेहटी से जानकारी तलब की गई है। इस संबंध में कोलार परियोजना द्वारा जानकारी भेजी गई है।
उल्लेखनीय है कि मालीबायां से लेकर कोलार डेम तक की 100 एकड़ से अधिक जमीन का वर्ष 1979 में अधिग्रहण किया गया था। कोलार परियोजना के माध्यम से यहां पर नहर एवं सड़क बनाई गई थी। इसके लिए ही किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया था। अधिग्रहण के बाद किसानों को इस जमीन का पैसा भी दिया गया, लेकिन आज तक इस जमीन को राजस्व रिकार्ड में दुरूस्त ही नहीं किया गया। इसके चलते जहां राजस्व विभाग को करोड़ों की चपत लगी है तो वहीं इसमें कोलार परियोजना के जिम्मेदारों की लापरवाही भी सामने आई।
किसान कर रहे हैं खेती-
मालीबायां से लेकर कोलार डेम तक किसानों के साथ ही वन विभाग की जमीन भी है। किसानों की जमीनों का अधिग्रहण होने के बाद उन्हें तो इसका मुआवजा भी दे दिया गया, लेकिन रिकार्ड दुरूस्त नहीं होने के कारण किसान अब तक इन जमीनों पर काबिज हैं एवं खेती कर रहे हैं। इतना ही नहीं कई किसान इन जमीनों को लाखों रूपए प्रति एकड़ के दामों पर बेच भी रहे हैं।
इनका कहना है-
कोलार रोड को लेकर कलेक्टर महोदय द्वारा जानकारी मांगी गई थी। जानकारी उपलब्ध करवा दी गई है।
– एसएस मेहर, उपयंत्री, कोलार परियोजना, रेहटी

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