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किसानों का समर्थन मूल्य से मोहभंग, मंडी में लग रही लंबी-लंबी कतार

किसान गेहूं एवं चना लेकर पहुंच रहे मंडी, मिल रहा समर्थन मूल्य से ज्यादा दाम

सुमित शर्मा
सीहोर जिलेभर में सरकार द्वारा गेहूं एवं चने की समर्थन मूल्य पर खरीदी का कार्य चल रहा है। इस बार नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा सीहोर जिले में 7 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन अब यह लक्ष्य पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इस बार समर्थन मूल्य से ज्यादा दाम किसानों को मंडी में मिल रहे हैं। यही कारण है कि वे अपनी उपज लेकर मंडी ही पहुंच रहे हैं। सीहोर सहित जिले की आष्टा, भैरूंदा मंडी में किसानों के ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं। किसान मंडियों में दो-दो दिन तक रूककर अपनी फसल बेच रहे हैं।
समर्थन मूल्य से ज्यादा मिल रहे भाव-
इस बार शासन द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रूपए तय किया गया है। इसके साथ ही 125 रूपए किसानों को बोनस दिया जा रहा है। कुल 2400 रूपए प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी की जा रही है। इसी तरह चने का समर्थन मूल्य 5440 रूपए तय किया गया है। इधर जिले की सीहोर, आष्टा, भैरूंदा सहित अन्य मंडियों में किसानों को 2400 से लेकर 3000 रूपए प्रति क्विंटल तक गेहूं का भाव मिल रहा है तो वहीं चने का भाव भी समर्थन मूल्य से ज्यादा मिल रहा है। ऐसे में किसानों का रूख मंडियों की तरफ ज्यादा है और वेयर हाउस खाली पड़े हुए हैं।
वेयर हाउसों पर सन्नाटा, इक्का-दुक्का किसान पहुंच रहे-
सीहोर जिले में जिला उपार्जन समिति द्वारा 228 खरीदी केंद्र निर्धारित किए गए हैं। जिले में गेहूं की खरीदी का कार्य नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा एवं चने की खरीदी का कार्य विपणन संघ द्वारा किया जा रहा है। इन 228 केंद्रों में से ज्यादातर खरीदी केंद्रोें पर सन्नाटा पसरा हुआ है। इक्का-दुक्का किसान ही यहां पहुंच रहे हैं। जबकि मंडियों में सुबह से ही लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं और किसान दो-दो दिनों तक मंडियों में रूककर अपनी उपज बेच रहे हैं।
वेयर हाउसों पर भी संकट के बादल-
सीहोर जिले में क्षमता से अधिक भंडारण क्षमता हो गई है। सबसे ज्यादा वेयर हाउसों का निर्माण जिले की भैरूंदा, रेहटी एवं बुधनी तहसील में हुआ है। यहां पर जमकर वेयर हाउस बने हुए हैं। अब स्थिति यह है कि यहां पर जितना फसलों का उत्पादन नहीं होता है उससे कहीं अधिक वेयर हाउस बना लिए गए हैं। ऐसे में अब वेयर हाउस संचालकों में होड़ मची हुई है कि वे पहले अपना वेयर हाउस भर लें। इसके लिए उन्होंने ज्यादा से ज्यादा गेहूं अपने वेयर हाउसों में भरने की मुहिम चला रखी है, ताकि खरीदी से पहले उनका कोटा पूरा हो जाए। इसके कारण नियम-कानून सब कुछ ताक पर रख दिए गए हैं। हालांकि इस बार ज्यादातर वेयर हाउसों पर संकट के बादल हैं, क्योंकि उनके पास किसान अपनी उपज ही नहीं ले जा रहे हैं।

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