Newsआष्टाइछावरइंदौरग्वालियरजबलपुरजावरदेशनसरुल्लागंजबुदनीभोपालमध्य प्रदेशरेहटीविशेषसीहोर

Sehore News… कुबेरेश्वरधाम पर उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रृद्धालुओं के लिए वाटर प्रूफ पंडालों की व्यवस्था

सत्यता ही दिलाएगी श्रद्धालुओं को भगवान शिव की कृपा : पंडित प्रदीप मिश्रा

सीहोर। शिव रूपी गुरु जब कृपा करते है तब ही हम शिवत्व का अंश मात्र समझ पाते है। जब तक प्रभु की कृपा नहीं होती, तब तक हम धर्म, भक्ति की ओर जा नहीं सकते। देवादि देव की कृपा से ही हम ईश्वर की ओर जा रहे हैं। बाबा भोलेनाथ की चौखट पर जाने पर ही सुख, शांति की प्राप्ति होती है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण के तीसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। इस मौके पर मंगलवार को कथा के दौरान एक महिला ने पंडित श्री मिश्रा को धन्यवाद करने के लिए पत्र लिखा है, जिसका वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान शिव पर भरोसा और विश्वास काम आता है, भिंड से आई रीमा भदौरिया ने पत्र में लिखा कि उनका बेटा 15 साल की आयु में पानी में पैर फिसल जाने के कारण मृत हो गया था, उनकी कोई संतान नहीं थी, उन्होंने भगवान शिव की भक्ति की ओर उनको एक बेटा प्राप्त हुआ जिसका उन्होंने नाम शिवांश रखा है, इस तरह के हजारों उदाहरण है जिन्होंने भगवान भोले पर विश्वास किया उनको इसका लाभ मिला है। पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव, शिवतत्व से जुड़े रहोगे तो सोचने की जरूरत नहीं है कि आपका घर कौन चला रहा है। जब हम शिव की चरणों में है तो चिंता की जरूरत नहीं है। हम जो कर रहे हैं वो प्रभु इच्छा है, इसलिए नाहक परेशान होने की जरूरत नहीं है। उसकी मर्जी है क्या देगा और क्या लेगा। बस आप साफ व पवित्र मन से जो भी काम करोगे उसका पूर्ण फल प्राप्त होगा। जब भी शिवालय जाएं, तब अपना मन में सत्यता रखें, सत्यता ही आपको भगवान शिव की कृपा दिलाएगी।
सिमरन भजन-अभ्यास से मनुष्य जन्म मरण के चक्र से पार हो जाता
पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि सच्चे आत्मज्ञानी पुर्ण सद्गुरु से मिला ज्ञानदान, सच्चे पूर्ण आत्मज्ञानी सद्गुरु से मिला शब्द (गुरुमंत्र) वह बीजमंत्र है, जिसे समझकर उसके चिंतन मनन से, उसे अपने ह्रदय में, अपने श्वासो में उतारकर उसके अजपा-जाप, सिमरन भजन-अभ्यास से मनुष्य जन्म मरण के चक्र से पार हो जाता है। सच्चे पूर्ण आत्मज्ञानी सद्गुरु से मिले गुरुमंत्र का अजपा-जाप या मानसिक जाप हमे संसार में रहते संसार से पार ले जाता है। इसी जीवन में, इसी देह में रहते-रहते हमे विदेही अवस्था तक जीवन-मुक्ति की अवस्था तक ले जाता है। गुरु उपदेश, गुरु कृपा से हमारा विजन क्लियर हो जाता है, हमारी ज्ञान दृष्टि खुल जाती है। हम कर्मों के प्रति सचेत हो जातें हैं। फिर बड़े प्यार से पुराने कर्म फलों को भोगकर उनका निपटारा करते हैं। नये कर्म बंधनों के प्रति सचेत रहकर, निष्काम कर्म योग को अपनाकर हम इसी जीवन में जीवन-मुक्त हो जाते हैं। कर्म बंधनों से मुक्त होना, इच्छा आकांक्षाओं से पार जाना ही जन्म मरण से मुक्त होना है। केवल इच्छा आकांक्षाओं वासनाओं के कारण हम जन्म मरण के चक्र में बंधें हुएं हैं। जब गुरुकृपा से ज्ञानदृष्टि खुल जाती है। गुरुकृपा से संसार के प्रति, देह के प्रति की यह इच्छा-वासनाएं, अटैचमेंट, आसक्तियां खतम हो जाती है। कुछ पाना और कुछ खोना बाकी नहीं रह जाता तब हम मुक्त ही है। मुक्ति हमेशा धीरे धीरे घटित होती है। गुरु उपदेश से जैसे ही हमारे अंदर ज्ञान दृष्टि खुलती हैं, अंतर में भक्ति-ज्ञान, विवेक-वैराग्य का उदय होता है, हम धीरे-धीरे मुक्ति की तरफ़ चल पड़ते हैं। कर्मों का निपटारा करते हैं। पहले जीवन-मुक्ति घटित होती है। अंतिम मुक्ति वह बाद का विषय है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button