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सलकनपुर में हुई घट एवं ज्योति स्थापना, पहले दिन बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु, जिलेभर में नवरात्रि की धूम

रेहटी। नवरात्रि के पहले दिन मां बिजासन धाम सलकनपुर में शुभ मुहूर्त में घट एवं ज्योति की स्थापना की गई। इस दौरान बाहर के कई श्रद्धालुओं द्वारा भी यहां पर ज्यौत जलवाई गई। मान्यता है कि जिन लोगों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं वे मां बिजासन के दरबार में ज्यौत जलवाते हैं। लोग दूर-दूर से अपनी मनोकामना के लिए मातारानी के दरबार में पहुंचकर अर्जी लगाते हैं और मनोकामना पूरी होने पर ज्यौत जलवाते हैं। ज्यौत जलवाने वाले श्रद्धालुओं में सिर्फ देश ही नहीं विदेशों से भी लोग यहां पर आते हैं। अब नौ दिनों तक यहां पर प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु-भक्त पहुंचेंगे एवं मां बिजासन के दर्शन करेंगे। इस दौरान वे सुबह 3 बजे से रात 12 बजे तक दर्शन का लाभ उठा सकेंगे। मंदिर के पट रात 12 बजे बंद होंगे एवं सुबह 3 बजे खोले जाएंगे। पूजा-आरती के बाद आमजनों के लिए पट खोल दिए जाएंगे।
रोप-वे एवं टैक्सियों से पहुंचे श्रद्धालु-
मां बिजासन के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से अपने वाहनों से सलकनपुर पहुंचे। इस दौरान उन्हें अपनी चार पहिया गाड़ियां पार्किंग में लगाकर टैक्सियों एवं रोप-वे से उपर पहुंचना पड़ा। कई श्रद्धालु, भक्त सीढ़ी मार्ग से भी उपर गए। इस दौरान हर तरह जय मातादी के नारे भी गंुजायमान होते रहे। निजी टैक्सियों से उपर जाने वाले कई लोगों ने इस पर आपत्ति भी जताई, लेकिन वे व्यवस्थाओं के आगे कुछ नहीं कर सके और उन्हें टैक्सियों से ही उपर तक जाना पड़ा।

पहाड़ वाली सांवल माता के दरबार में लग रहा है श्रद्धालुओं का तांता-
सीहोर जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम रायपुरा स्थित प्राचीन पहाड़ वाली सांवल माता के दरबार में नवरात्रि के प्रथम दिवस से ही भक्तों का आना प्रारंभ हो गया है। रावरात्रि के प्रथम दिवस पं. महेश दुबे द्वारा विधिवत पूजन अर्चन करते हुए ध्वजा चड़ाई एवं जनमानस के लिए सुख-समृद्धि की कामना की। इस मौके पर हिन्दु उत्सव समिति के अध्यक्ष आशीष गुप्ता, पुरुषोत्तम मीणा ने भी पूजा-अर्चना कर मातारानी से आशीर्वाद प्राप्त किया। ज्ञातव्य है कि सीहोर मंडी रोड से मात्र 7 किमी ग्राम रायपुरा स्थित प्राचीन पहाड़ वाली सांवल माता मंदिर जहां पर नवरात्रि के इस पावन अवसर पर प्रतिदिन भव्य पूजन अर्चन हो रही है और दर्शनार्थियों का तांता लगा हुआ है। मंदिर के पुजारी माखन सिंह ने बताया कि यह प्राचीन स्थल है, यहां की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्ची भावना से मातारानी से गुहार लगाता है, उसकी हर पीढ़ा को मातारानी हर लेती है। कई श्रद्धालु पहाड़ी वाली माता के समक्ष अपने आशियाने की कामना हेतु छोटे-छोटे पत्थर रखकर आते हैं। मातारानी शीघ्र ही उनकी मनोकामना पूर्ण करती है। मान्यता यह भी है कि मंदिर परिसर में दो प्राचीन कुण्ड है, कुण्ड से जल लेकर शरीर पर छिडक़ाव मात्र से कई रोग दूर हो जाते हैं, वहीं निःसंतान को संतान की उपलब्धि होती है। नवरात्रि के इस पावन पर्व पर ग्राम रायपुरा, मुंगावली, मुहाली, सेमला दांगी, डोबरा, नौनीखेड़ी, सेमली, जमोनिया, बड़वेली आदि समीपस्थ ग्रामीणों द्वारा हवन, पूजन व भव्य मेले का आयेजन भी किया जाता है। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उस्थित होकर मातारानी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और मातारानी सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है।

150 साल पुराने प्राचीन मरीह माता मंदिर में प्रथम दिन दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ श्रद्धालुओं ने दी आहुतियां-
प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी सीहोर के विश्रामघाट मां चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इसके पहले दिन यहां पर उपस्थित आधा दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं ने पंडित उमेश दुबे के मार्गदर्शन में गुरुवार की सुबह दुर्गा सप्त शती के पाठ के साथ श्रद्धालुओं ने दी आहुतियां दी। यहां पर हर रोज यज्ञ के साथ आहुतियां दी जाएगी। गुरुवार को नवरात्रि के प्रथम दिवस मंदिर के व्यवस्थापक गोविन्द मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा, जिला संस्कार मंच के मनोज दीक्षित मामा आदि ने पूजा अर्चना की। इस संबंध में मंदिर के व्यवस्थापक श्री मेवाड़ा ने बताया कि कुल चार नवरात्रि का वर्णन है। इस समय शारदीय नवरात्रि का पावन अवसर चल रहा है। इस साल भी यहां पर पंडित श्री शर्मा और श्री दुबे के मार्गदर्शन में श्रद्धालुओं द्वारा नियमित रूप से आहुतियां दी जाएगी। नवरात्रि के पहले दिन यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं ने फूलों से माता का श्रृंगार किया और उसके पश्चात यज्ञ में देवी का आह्वान कर आहुतियां दी। पंडित श्री शर्मा ने बताया कि पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा के लिए समर्पित होता है। मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं। माता के नाम का अर्थ भी पर्वत की बेटी ही है, अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण करने वाली माता शैलपुत्री की साधना करने पर कुंडली से जुड़ा चंद्र दोष और उससे होने वाली सारी परेशानियां दूर होती हैं। मां की पूजा से व्यक्ति के जीवन में उनके नाम की तरह स्थिरता बनी रहती है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को सुबह देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाएगी।

नव ज्योति संगठन के तत्वाधान में नौ रूप में विराजमान हुई देवी मां-
सीहोर शहर के नमक चौराहा स्थित हर साल की तरह इस साल भी शरदीय नवरात्रि का पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। चौराहे पर वर्ष 1960 से मां दुर्गा की आराधना की जा रही है। इस वर्ष दुर्गा पूजा का पंडाल स्थानीय कलाकारों के द्वारा बनाया गया है। गुरुवार को पूर्ण विधि-विधान से नौ देवी की भव्य प्रतिमा को विराजमान किया गया। इसके अलावा आगामी दिनों प्रसिद्ध भजन गायकों के द्वारा भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। यहां पर नियमित रूप से मां का विशेष श्रृंगार किया जा जाएगा। इसको लेकर शहर के छावनी स्थित श्रीसिद्ध हनुमान मंदिर में संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी कमलेश अग्रवाल की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें एक बार फिर से भजन गायक उत्कर्ष अग्रवाल को सर्व सम्मति से संगठन का अध्यक्ष मनोनित किया गया। बैठक में संगठन के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश माहेश्वरी ने आगामी रूपरेखा की जानकारी दी। नव ज्योति संगठन के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि संगठन द्वारा नवरात्रि का पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस साल नवरात्रि के दौरान सुबह और शाम को आरती और प्रसादी वितरण किया जाएगा। नवरात्रि के पावन अवसर पर नवमीं की रात्रि को कन्या भोज का आयोजन किया जाएगा। वहीं भजन संध्या, संगीतमय श्री सुंदरकांड आदि का आयोजन भी किया जाएगा। बैठक में संगठन की ओर से आशीष पचौरी, नितिन अग्रवाल, अखिलेश माहेश्वरी, दुष्यंत सोनी, गगन सोनी, संतोष राठौर, राहुल शुक्ला, रितेश अग्रवाल, हिमांशु मोदी, राघव अग्रवाल, प्रकाश सोनी, श्याम आयुष सोनी, विनोद माहेश्वरी, त्रिलोकी शर्मा आदि शामिल थे।

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