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मंडी में फसलों की बंपर आवक, असुविधाओं से जूझ रहे किसान, नेता-अफसर गायब!

फसलों का बंपर उत्पादन बन गया मुसीबत, औने-पौने दामों पर बिक रही मक्का, सोयाबीन

भैरूंदा। इस समय मंडी में किसान मक्का, धान, सोयाबीन सहित अन्य फसलों को लेकर पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें असुविधाओं के बीच में अपनी उपज देनी पड़ रही है। सबसे ज्यादा परेशानियां सीहोर जिले की भैरूंदा कृषि उपज मंडी में देखने को मिल रही है। यहां पर किसान कई असुविधाओं के बीच में रातें गुजार कर अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं, लेकिन जिम्मेदारों का ध्यान इस तरफ नहीं है। उपचुनाव के मतदान से पहले किसानों को तमाम लालच, वादे करने वाले राजनीतिक दलों के नेता भी इस समय गायब हैं। अधिकारियों का भी इस तरफ ध्यान नहीं हैं। ऐसे में किसानों को रात-रात भर खुले आसमान के नीचे गुजार कर अपनी उपज बेचनी पड़ रही है। भैरूंदा कृषि उपज मंडी में बने टीन शेडों पर व्यापारियों ने कब्जा कर रखा है एवं अपनी फसल पटक रखी है। ऐसे में किसानों की ट्रालियां मोती बिहार मैदान पर खड़ी करवाई जा रही है। यहां पर न तो पीने के पानी की सुविधा है औैर न ही यहां पर बिजली की व्यवस्था है। सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रालियां रात में आकर खड़ी होती हैं और उनकी उपज की नीलामी के लिए कई बार किसानों को दो-दो रातें यहां पर गुजारनी पड़ रही है। अंधेरा होने के कारण किसान की ट्रॉली भी पलट गई, जिससे उसकी फसल जमीन पर गिर गई।

औने-पौने दामों पर बिक रही मक्का, सोयाबीन-
इस बार क्षेत्र में मक्का की फसल का बंपर उत्पादन हुआ है। अब किसान अपनी मक्का की उपज लेकर मंडी में पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। व्यापारियों की मोनोपाली के कारण किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों पर ही बेचनी पड़ रही है। हजारों रूपए के बीच खरीदने के बाद अब उनकी उपज बेहद कम दामों में बिक रही है। मक्का की उपज जमकर हुई है तो अब व्यापारियों ने उसके दाम कम कर दिए हैं। अच्छी से अच्छी मक्का भी 2100 से 2200 रूपए प्रति क्विंटल ही बिक रही है, जबकि थोड़ी हल्का मक्का 1600 से 1700 रूपए तक ली जा रही है, जबकि आसपास के जिलों की मंडियों में पक्का के दाम 2800 रूपए तक दिए जा रहे हैं। इसी तरह सोयाबीन की उपज के भी किसानों को बेहद कम दाम मिल रहे हैं। ऐसे में मजबूरीवश उन्हें अपनी उपज व्यापारियों को कम दामों में बेचना पड़ रही है।

नगर में दिनभर रहती है ट्रेक्टर-ट्रॉलियों की धमाचौकड़ी-
भैरूंदा नगर में इस समय हजारों ट्रैक्टर-ट्रॉलियां प्रतिदिन आ रही हैं। किसान अपनी उपज लेकर रात में ही भैरूंदा पहुंच जाते हैं और अगले दिन उनकी उपज की नीलामी होती हैै। मोती बिहार मैदान पर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टर खड़े हो रहे हैं। इसके बाद यहां से मंडी एवं व्यापारियों के ठिकानों पर पहुंचते हैं। सड़क पर दिनभर ट्रैक्टर-ट्रालियों की धमाचौकड़ी मची रहती हैै। इसके कारण लगातार रोड जाम की स्थितियां बनी हुईं हैं। मंडी के सामने एवं सड़क किनारे टैक्टर टॉली खड़े रहने से लोगों को आवागमन में भी परेशानियां हो रही हैं।

मंडी में बने शेडों पर व्यापारियों का कब्जा –
मंडी में किसानों की उपज नीलामी के लिए शेड बनाए गए हैं, लेकिन इन शेडों पर इस समय व्यापारियों का कब्जा जमा हुआ है। व्यापारी यहां पर फसल खरीदकर रख रहे हैं। ऐसे में किसानों के लिए यहां पर पर्याप्त जगह भी नहीं बची है। किसानों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था मोती बिहार मैदान में की गई है, लेकिन यहां पर उनके लिए पेयजल, बिजली की व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में किसानों को खुले आसमान के नीचे रहकर ही रात गुजारनी पड़ रही है।

अधिकारी, नेता नहीं ले रहे किसानों की सुध-
बुधनी विधानसभा में अभी उपचुनाव को लेकर लगी आचार संहिता प्रभावशील है। उपचुनाव में मतदान से पहले जिन किसानों की आवभगत हो रही थी, अब उनकी सुध लेने वाले न तो कोई नेता उनके पास आ रहा है और न ही अधिकारी उनकी सुध ले रहे हैं। किसानों को भारी अव्यवस्थाओं के बीच में रहकर अपनी उपज बेचना पड़ रहा है। श्यामूगांव से अपनी उपज लेकर भैरूंदा आए उधम सिंह मकोरिया ने बताया कि उनके पास 2 एकड़ जमीन है। उस पर उन्होंने मक्का लगाई थी। फसल तो अच्छी हुई, लेकिन जब वे भैरूंदा आए तो मोती बिहार के पास उनकी ट्राली पलट गई और उनकी पूरी उपज जमीन पर गिर गई। मेहनत करके उसे समेटा, लेकिन अब उसके दाम कम मिल रहे हैं। ऐसी ही समस्या कई अन्य किसानों की भी है।

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