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बुधनी के खिलौने की भोपाल में 25 जुलाई तक चलेगी प्रदर्शनी

सीहोर। मध्यप्रदेश हस्त शिल्प निगम द्वारा भोपाल के गौहर महल में 17 जुलाई से 25 जुलाई तक बुधनी के खिलौने की प्रदर्शनी लगाई गई है। बुधनी में विगत कई वर्षों से काष्ठ शिल्पकार पीढ़ी दर पीढ़ी लकड़ी के खिलौने बनाते आ रहे हैं। यह खिलौने अदभुत काष्ठ कारीगरी, रंग, बनावट और आकर्षक आकार के कारण देश में अलग पहचान है। बुधनी के खिलौनों की प्रसिद्धी को ध्यान में रखते हुए आत्म निर्भर मध्यप्रदेश और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वोकल फॉर लोकल की अवधारणा को साकार करने के लिए बुधनी के खिलौनों का एक जिला एक उत्पाद के तहत चयन किया गया है। बुधनी के खिलौने मुख्य रूप से दूधी लकड़ी से बनाए जाते हैं। दूधी लकड़ी एक प्रकार की मुलायम लकड़ी होती है। मुलायम होने के कारण खिलौनों को आकार देने और उन पर नक्काशी करना आसान होता है। खिलौनों को बनाने के लिए खराद मशीन का उपयोग किया जाता है, जिससे खिलौनों में एकरूपता होती है। बुधनी के खिलौनों में जिन रंगां का उपयोग किया जाता है वह बच्चों के लिए नुकसानदायक नही होते। बुधनी में विभिन्न प्रकार के खिलौने बनाए जाते हैं, जिनमें कार, तिपहिया, वॉकर, साइकिल, किचन सेट और अन्य पारंपरिक खिलौने शामिल हैं। बुधनी के खिलौने न केवल खिलौने हैं, बल्कि ये इस क्षेत्र की संस्कृति और विरासत का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। बुधनी में पारंपरिक रूप से लकड़ी के खिलौने बनाने वाले 280 शिल्पकार और उनके परिवार निवासरत हैं। इन परिवारों में से 120 परिवार वन विभाग के द्वारा पंजीकृत किए गए है। जिन्हें दूधी की लकड़ी व अन्य आवश्यक लकड़ी कम कीमत पर उपलब्ध कराई जाती है। खिलौना बनाने वाले प्रत्येक परिवार की आय लगभग 15,000 रुपए से 20,000 रुपए प्रतिमाह है।

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